आज से संसद का विशेष सत्र शुरू हो गया। लोकसभा सचिवालय की तरफ से पहली औपचारिक सूचना में यह भी बताया गया कि सोमवार से शुक्रवार तक चलने वाले इस विशेष सत्र में विभिन्न मुद्दों के साथ 5 बिल भी पेश होंगे। पहले तो लंबे समय तक इस बात पर ही विवाद चला कि यह सत्र क्यों बुलाया जा रहा है। फिर विपक्ष यह शंका जाहिर करता रहा कि सरकार इस सत्र में कोई ऐसा गंभीर कदम उठा सकती है जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया और परंपराओं पर ही सवाल उठ जाएं।

संसद के विशेष सत्र के लिए मोदी सरकार इतनी कसरत क्यों कर रही है? क्या मोदी सरकार अमृत काल के लिए यादगार आयोजन करना चाहती है?
हालाँकि अब सरकार की तरफ़ से विशेष सत्र का एजेंडा सामने रख दिया गया है, लेकिन सवालों का सिलसिला अभी थमा नहीं है। राज्यसभा के बुलेटिन के मुताबिक इस सत्र में तीन बिलों पर चर्चा होगी, उधर लोकसभा में भी दो बिलों पर चर्चा होनी है। ये बिल हैं- पोस्ट ऑफिस विधेयक 2023, मुख्य चुनाव आयुक्त एवं चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति, सेवाओं और कार्यकाल से संबंधित विधेयक, निरसन एवं संशोधन विधेयक 2023, अधिवक्ता संशोधन विधेयक 2023 और प्रेस एवं पत्र पत्रिका पंजीकरण विधेयक 2023। इनमें से सबसे ज्यादा विवाद चुनाव आयोग से जुड़े विधेयक पर है। आरोप है कि सरकार मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति प्रक्रिया से भारत के प्रधान न्यायाधीश को बाहर करना चाहती है जिसके लिए यह विधेयक आ रहा है।