वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 पेश किया। सर्वेक्षण में वित्त वर्ष 2023 में भारत की जीडीपी वृद्धि 7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि अगले वित्तीय वर्ष के लिए विकास दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। यदि यह विकास दर हासिल कर ली जाती है तो भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनी रहेगी।
केंद्रीय बजट पेश किए जाने से एक दिन पहले मंगलवार को सरकार ने आर्थिक सर्वेक्षण जारी किया। आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है, 'अनुमान मोटे तौर पर विश्व बैंक, आईएमएफ, और एडीबी जैसी बहुपक्षीय एजेंसियों और आरबीआई द्वारा घरेलू स्तर पर दिए गए अनुमानों के बराबर है। वास्तविक जीडीपी वृद्धि संभवतः 6 प्रतिशत से 6.8 की सीमा में होगी।' इसमें कहा गया है कि वास्तविक जीडीपी वृद्धि विश्व स्तर पर आर्थिक और राजनीतिक विकास पर निर्भर करता है।
आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2023 में वृद्धि मुख्य रूप से निजी खपत, उच्च पूंजीगत व्यय, मज़बूत कॉर्पोरेट बैलेंस शीट, छोटे व्यवसायों में ऋण वृद्धि और शहरों में प्रवासी श्रमिकों की वापसी से हुई है।
इसने यह भी कहा कि भारतीय रिज़र्व बैंक का 6.8 प्रतिशत का मुद्रास्फीति अनुमान निजी खपत को बाधित करने के लिए पर्याप्त नहीं है, भले ही यह केंद्रीय बैंक की 6 प्रतिशत की ऊपरी सीमा से अधिक है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2023 के लिए मुद्रास्फीति के बावजूद निवेश प्रभावित होने की संभावना नहीं है।
आर्थिक सर्वेक्षण के दस्तावेज़ में कहा गया है कि महामारी के दौरान जो धीमा हो गया था, वह फिर से सक्रिय हो गया है, अर्थव्यवस्था ने जो कुछ खोया था, उसकी लगभग भरपाई कर ली गई है, जो रुक गया था उसे फिर से शुरू कर दिया गया है।
आर्थिक सर्वेक्षण में अगले वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति यानी महंगाई के अलावा चालू खाता घाटा को लेकर चिंताएँ हैं।
आर्थिक सर्वेक्षण में इस पर जोर दिया गया है कि एक अन्य चिंताजनक बिंदु बढ़ता करंट एकाउंट डेफिसिट यानी चालू खाता घाटा है। सर्वेक्षण में कहा गया है कि चालू खाता घाटा बढ़ना जारी रह सकता है क्योंकि वैश्विक वस्तुओं की कीमतें ऊंची बनी हुई हैं। अगर चालू खाता घाटा और बढ़ता है, तो यह रुपये पर और दबाव डाल सकता है।
हालाँकि, सर्वेक्षण में कहा गया है कि समग्र बाहरी स्थिति संभालने लायक बनी हुई है। इसने कहा है कि भारत के पास चालू खाता घाटे को वित्तपोषित करने और रुपये में ज़्यादा अस्थिरता को नियंत्रित करने के लिए विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप करने को पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है।
सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि चालू खाता शेष में गिरावट का जोखिम मुख्य रूप से घरेलू मांग और कुछ हद तक निर्यात से उपजा है।
2022-23 में अब तक निर्यात की तुलना में आयात में वृद्धि की दर तेज रही है, जिससे व्यापार घाटा बढ़ रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश किए गए प्रमुख सरकारी दस्तावेज में सतर्क करते हुए कहा गया है कि रुपये में गिरावट की चुनौती यूएस फेडरल रिजर्व द्वारा नीतिगत दरों में और बढ़ोतरी की संभावना के साथ बनी हुई है।
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