विश्व बैंक के बाद अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ़ ने भी भारत की विकास दर के अनुमान को घटा दिया है। आईएमएफ़ ने मंगलवार को 2022-23 के लिए भारत के विकास के अनुमान को 8.2% कर दिया है जबकि इसने जनवरी में 9% विकास दर का अनुमान बताया था। आईएमएफ़ ने अनुमान में कटौती के लिए यूक्रेन युद्ध की वजह से घरेलू इस्तेमाल पर तेल की उच्च क़ीमतों और निजी निवेश के प्रभावित होने का हवाला दिया है।
कुछ ऐसे ही कारण विश्व बैंक ने भी दिया था और भारत की विकास दर के अनुमान को कम कर दिया था। क़रीब हफ़्ते भर पहले ही आई रिपोर्ट में इसने दक्षिण एशियाई क्षेत्र की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत के लिए अपने विकास अनुमान को चालू वित्त वर्ष में मार्च 2023 तक के लिए 8.7% से घटाकर 8% कर दिया है।
विश्व बैंक ने कहा है कि भारत में कोरोना महामारी से श्रम बाजार को पूरी तरह उबरने में दिक्कतों और मुद्रास्फीति के दबाव से घरेलू खपत बाधित होगी। बता दें कि हाल ही में जारी आँकड़ों में कहा गया है कि मार्च महीने में खुदरा महंगाई दर 6.95 फ़ीसदी रही है। यह 16 महीने का रिकॉर्ड स्तर है। यह लगातार तीसरा महीना है जब महंगाई दर रिजर्व बैंक द्वारा तय सीमा से ऊपर है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने इस महंगाई को 6 प्रतिशत की सीमा के अंदर रखने का लक्ष्य रखा है। यानी मौजूदा महंगाई की दर लगातार तीसरे महीने ख़तरे के निशान के पार है और लगातार बढ़ रही है।
खुदरा महंगाई के बाद आए थोक महंगाई के आँकड़ों ने भी चिंता पैदा की है। थोक मूल्य मुद्रास्फीति मार्च में बढ़कर 14.55 प्रतिशत पर पहुँच गई है। यह पिछले चार महीने के उच्चतम स्तर है।
आईएमएफ़ की पहली उप प्रबंधकीय निदेशक गीता गोपीनाथ ने कहा है, 'यूक्रेन पर रूस के आक्रमण से कई देशों में सुधार प्रभावित हुआ है। हमने 2022 के लिए वैश्विक विकास दर को 4.4 फीसदी से घटाकर 3.6 फीसदी और 2023 के लिए 3.8 फीसदी से घटाकर 3.6 फीसदी कर दिया है।'
Russia's invasion of Ukraine has significantly hit recoveries in many countries. We have downgraded global growth for 2022 from 4.4% to 3.6%, and for 2023 from 3.8% to 3.6%. Read more in our latest WEO report https://t.co/WMdekgs2Yk pic.twitter.com/ZG9Fusjzg2
— Gita Gopinath (@GitaGopinath) April 19, 2022
बहरहाल, आईएमएफ़ ने 2023-24 के लिए भारत की विकास दर के पहले के अनुमान को भी 7.2 फ़ीसदी से घटाकर 6.9 फ़ीसदी कर दिया है। आईएमएफ ने कहा कि यूक्रेन युद्ध वैश्विक सुधार को बुरी तरह से पीछे धकेलेगा, विकास को धीमा कर देगा और मुद्रास्फीति को और भी बढ़ा देगा।
फिर भी 2022-23 के वित्तीय वर्ष में भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बने रहने का अनुमान है। चीन के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि 2022 में तेजी से घटकर 4.4% होने का अनुमान है, जो 2021 में 8.1% थी।
आईएमएफ ने 2022-23 में भारत की मुद्रास्फीति का औसत 6.1% होने का अनुमान लगाया है, जो कि भारतीय रिजर्व बैंक की 6% की ऊपरी सीमा से अधिक है। और इसके अगले वित्तीय वर्ष में 4.8% तक कम होने की संभावना है।
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