वैश्विक अर्थव्यवस्था में पिछले दो दशक के दौरान कई तरह के झटकों के बावजूद जीडीपी के मुकाबले भारत का कर्ज क्यों बढ़ रहा है? जानिए, भारतीय अर्थव्यवस्था में क्या चल रहा है।
यूरोप की अर्थव्यवस्था की स्थिति डाँवाडोल क्यों है? क्यों कुछ देशों में तकनीकी तौर पर आर्थिक मंदी आ गई है? क्या वहाँ की कंपनियों की भी वैसी ही स्थिति है या फिर वे मालामाल हैं?
वैश्विक आर्थिक मंदी का असर क्या भारत पर भी काफ़ी ज़्यादा पड़ने वाला है और क्या इसके संकेत अभी से मिलने लगे हैं? जानिए, आईएमएफ़ ने क्या अनुमान लगाया है।
वैश्विक आर्थिक मंदी की आहट के बीच दुनिया की अर्थव्यवस्था की हालत ख़राब रहने वाली है। हालाँकि दो देशों की अर्थव्यवस्था उम्मीद की किरण की तरह हैं। जानिए, भारत में क्या हालात होंगे।
पाकिस्तान को और अधिक बाहरी मदद तभी मिलेगी जब इस्लामाबाद अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करेगा, जो संभवत: अगले सप्ताह पूर्ण हो जाएगा।
पाकिस्तान के आर्थिक हालात खराब हैं, इससे उबरने के लिए तमाम प्रयास कर रहा है। लेकिन उसकी कोशिशें अभी तक कामयाब नहीं हो पाईं हैं। बेलआउट पैकैज के लिए आईएमएफ के साथ चल रही बातचीत भी बीच में टूट गई है।
पाकिस्तान के खराब आर्थिक हालातों के लिए पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को माना जा रहा है क्योंकि उनकी सरकार सब्सिडी समझौतों से मुकर गई, और सौदे में लिखित कर संग्रह के लिए किये जाने वाले सुधारों को पूरा करने में विफल रही।
जिसका डर था, वही आशंका सामने आई है। विश्व मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने आज मंगलवार को कहा है कि भारत में 2023 में मंदी आ सकती है लेकिन 2024 में हालात मामूली ठीक हो जाएंगे। आईएमएफ ने मंगलवार को विश्व अर्थव्यवस्था आउटलुक रिपोर्ट में यह बात कही।
क्या दुनिया में जिस आर्थिक मंदी की आशंका जताई जा रही है, उसका संकेत अब आईएमएएफ़ ने भी दे दिया है? जानिए, इसने दुनिया भर के देशों और भारत का विकास दर अनुमान क्यों घटाया।
आईएमएफ यानी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा है कि वह श्रीलंका में स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहा है। तो क्या वह श्रीलंका को बेलआउट करने यानी आर्थिक संकट से उबारने के रास्ते पर आगे बढ़ेगा?
एक के बाद एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टें 2022-23 के लिए भारत की विकास दर का अनुमान क्यों घटा रही हैं? कोरोना काल से उबरने की जो उम्मीद बंधी थी वह क्यों धूमिल होने लगी है?