कोरोना महामारी की चपेट में आई भारतीय अर्थव्यवस्था एक बार फिर तेज़ी से आगे बढ़ रही है और अगले साल तक इसके दुरुस्त होने की पूरी संभावना है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ़ ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था 2021 में 9.5 प्रतिशत और 2022 में 8.5 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है।
आईएमएफ़ ने मंगलवार को वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक जारी किया। इसे आईएमएफ़ और विश्व बैंक की बैठक के पहले जारी किया गया है।
वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक
इस आउटलुक में कहा गया है कि विश्व अर्थव्यवस्था 2021 में 5.9 प्रतिशत और 2022 में 4.9 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज कर सकती है।
अमेरिका में इस साल छह प्रतिशत और अगले साल 5.2 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि होने की संभावना है।
इसके पहले यानी जनवरी में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ़) ने संभावना जताई थी कि भारतीय अर्थव्यवस्था वित्तीय वर्ष 2021-22 में 11.5 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज कर सकती है।
'वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक अपडेट'
आईएमएफ़ ने अपनी 'वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक अपडेट' में कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में अकेली होगी, जिसकी आर्थिक विकास दर दहाई अंक में जा सकती है। इस दौरान चीन 8.1 प्रतिशत, स्पेन 5.9 प्रतिशत और फ्रांस 5.5 प्रतिशत की विकास दर हासिल कर सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था ने कोरोना की वजह से 2020 में -8 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की थी। चीन और वियतनाम ही ऐसे देश थे, जिनकी वृद्धि दर इस दौरान सकारात्मक यानी शून्य से ऊपर रही। चीन ने 2.3 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की थी।
IMF Projections: 2022
— IMF (@IMFNews) October 12, 2021
USA🇺🇸: 5.2%
Germany🇩🇪: 4.6%
France🇫🇷: 3.9%
Italy🇮🇹: 4.2%
Spain🇪🇸: 6.4%
Japan🇯🇵: 3.2%
UK🇬🇧: 5%
Canada🇨🇦: 4.9%
China🇨🇳: 5.6%
India🇮🇳: 8.5%
Russia🇷🇺: 2.9%
Brazil🇧🇷: 1.5%
Mexico🇲🇽: 4%
KSA🇸🇦: 4.8%
Nigeria🇳🇬: 2.7%
S. Africa🇿🇦: 2.2%https://t.co/j0FIiCr9li #WEO pic.twitter.com/SLNNQqHyt1
पहले से कम
आईएमएफ़ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में आउटलुक अपडेट जारी करते हुए कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर अधिक तेज़ हो सकती है, पर यह कुल मिला कर 2022 में कोरोना काल के पहले के अनुमान से नौ प्रतिशत कम होगी।
क्या कहा गीता गोपीनाथ ने?
आईएमएफ़ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने मंगलवार को कहा कि पिछले यानी जुलाई के वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक की तुलना में इस बार थोड़ा परिवर्तन किया गया है।
आईएमएफ़ की मुख्य अर्थशास्त्री ने ज़ोर देकर कहा कि फ़िलहाल प्राथमिकता इस साल 40 प्रतिशत और अगले साल 70 प्रतिशत तक लोगों को कोरोना वैक्सीन देना है।
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही ग्लोबल तापमान कम रखने की कोशिशों पर भी ध्यान देने की ज़रूरत है।
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