पाकिस्तान सरकार अपने खराब आर्थिक हालातों से निपटने के लिए खर्चों को कम करने
का प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ की तरफ से जारी ताजा निर्दश में
विदेश कार्यालय से खर्चों में कटौती करने को कहा गया है।
द न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री ने विदेश मंत्रालय को विदेशों में चल रहे विदेशी मिशनों को कम
करने उनके कार्यालयों, कर्मचारियों, सहित अन्य
खर्चों को कम करने के निर्देश दिए गए हैं। पाकिस्तान सरकार इसके जरिए खर्चों में
15% तक की कमी लाना चाह रही है।
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक निर्देश में कहा गया है कि खर्चों को
कम करने के संबंध में एक सुविचारित और सकारात्मक प्लान दो सप्ताह के अंदर
प्रधानमंत्री कार्यालय में जमा किया जाए।
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एक-एक पैसे के लिए मोहताज पाकिस्तान के पास महज तीन अरब डॉलर का फॉरेक्स रिजर्व शेष बचा
है, वह भी खुद का नहीं पहले लिए गये कर्जे का है। जबकि उसकी देनदारी 125 अरब डॉलर की है और अगले दो महीनों में उसे
15 अरब डॉलर चुकाने हैं, जो पहले
लिए कर्ज का हिस्सा हैं। यह कयास लगाया जा
रहा है कि मार्च आते-आते पाकिस्तान दिवालिया हो जायेगा वहां सैकड़ों कारख़ाने बंद हो गये हैं और पूरा देश बिजली संकट से
जूझ रहा है।
पाकिस्तान के पास महज तीन अरब डॉलर का फॉरेक्स रिजर्व शेष बचा है, वह भी खुद का नहीं पहले लिए गये कर्जे का है। जबकि उसकी देनदारी 125 अरब डॉलर की है और अगले दो महीनों में उसे 15 अरब डॉलर चुकाने हैं, जो पहले लिए कर्ज का हिस्सा हैं।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हाल ही में दिए
एक बयान में स्वीकार किया था कि देश दिवालिया हो गया है। रक्षा मंत्री की यह
स्वीकारोक्ति बहुत हद तक सही जान पड़ती है। वहां लोगों को दैनिक उपभोग की वस्तुओं
के लिए भारी कीमत चुकानी पड़ रही है, आटे जैसी बुनियादी चीज भी 170 रुपए किलो पर बिक रही है जबकि
पेट्रोल और डीजल के दामों में भारी बढ़ोत्तरी हुई है। एक लीटर पेट्रोल भी ढ़ाई सौ
रुपए के आसपास बिक रहा है।
मुद्रास्फीति की दर 30 फीसदी से ज्यादा हो गई है और कहा जा रहा है कि यह साल पाकिस्तान के लिए सबसे बुरा होगा। पाकिस्तानी रुपये के मुकाबले डॉलर की कीमतें बेतहाशा बढ़ी हुई हैं। जोकि वर्तमान में 270 रुपये के आसपास हैं। विदेशी सामानों का आयात बहुत मंहगा हो गया है। विदेशों से आये खाने पीने और बाकि जरूरत के सामानों से भरे सैकड़ों कंटेनर कराची पोर्ट पर खडें हुए हैं लेकिन सरकार उनको छुड़ाने में नाकाम है क्योंकि सरकार के पास डॉलर की कमी है।
मुद्रास्फीति की दर 30 फीसदी से ज्यादा हो गई है और कहा जा रहा है कि यह साल पाकिस्तान के लिए सबसे बुरा होगा। पाकिस्तानी रुपये के मुकाबले डॉलर की कीमतें बेतहाशा बढ़ी हुई हैं। जोकि वर्तमान में 270 रुपये के आसपास हैं।
पाकिस्तान के आर्थिक हालात खराब हैं, इससे उबरने के लिए तमाम प्रयास कर रहा
है। लेकिन उसकी कोशिशें अभी तक कामयाब नहीं हो पाईं हैं। बेलआउट पैकैज के लिए आईएमएफ
के साथ चल रही बातचीत भी बीच में टूट गई है। उसके करीबी सहयोगी, चीन और सऊदी अरब
भी हाथ पीछे खींच रहे हैं। चीन तो मदद करने की बजाए पाकिस्तान को दिया 35 अरब डॉलर
का कर्जा भी वापस मांग लिया है।
पाकिस्तान सरकार तमाम
विदेशी संस्थाओं से बेलआउट पैकेज की मांग कर रही है। लेकिन अभी तक बात फाइनल नहीं
हो पाई है। उसका विदेशी मुद्रा भंडार भी दिन-प्रतिदिन गिरता जा रहा है। इस सबके
बीच उसका राजनीतिक संकट भी बरकरार है। वहां हुए पिछले चुनाव पाकिस्तान क्रिकेट के
लोकप्रिय कप्तान चुनान जीतकर प्रधानमंत्री बने थे लेकिन वह बहुत ज्यादा दिनों तक
अपने पद पर नहीं रह सके। उनको हटाकर शाहबाज शरीफ
प्रधानमंत्री बने। लेकिन लगातार बढ़ते आर्थिक संकट के बीच वह कितने दिन तक इस पद
पर रह पाएंगे यह देखना बहुत अहम होगा।
पाकिस्तान में साल के आखिर में आम चुनाव होने हैं और सरकार हर स्तर पर प्रयास कर रही है कि आर्थिक संकट को जल्द से जल्द सुल्झा लिया जाए।
पाकिस्तान आर्थिक संकट से निकलने के लिए आईएमएफ से कर्ज मांग रहा है लेकिन
बात बनती नहीं दिख रही, इसका कारण IMF की कड़ी शर्तें हैं जो उसने
पाकिस्तान को कर्ज देने के बदले में लगाई हैं। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने कहा था कि ये शर्तें ऐसी हैं जिनको
मानना अपने को और मुसीबत में डालने के जैसा है, इससे तो बेहतर है कि हम कर्ज
ही न लें।
पाकिस्तान की वर्तमान आर्थिक हालातों के
लिए क्रोनी केप्टलिज्म हमेशा एक बड़ा मुद्दा रहा है। देश के कुछ बड़े उद्दोगों में
बड़े राजनीतिक घरानों का कब्जा है। जिसमें शरीफ परिवार और भुट्टो-जरदारी सबसे अहम
है और यह दोनों ही परिवार पाकिस्तान की राजनीति में तीन दशकों से कब्जा जमाए बैठै
हैं।
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