अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ़ ने मंगलवार को 2022 में भारत के आर्थिक विकास के अपने अनुमान को घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है। इसने अपने जुलाई के पूर्वानुमानों में इस विकास दर को 7.4 फ़ीसदी रहने का अनुमान लगाया था। यह पूर्वानुमान इस साल जनवरी में 8.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था। यानी जीडीपी विकास दर अनुमान लगातार घटता जा रहा है। इसके मायने क्या हैं?
IMF Growth Forecast: 2023
— IMF (@IMFNews) October 11, 2022
USA🇺🇸: 1%
Germany🇩🇪: -0.3%
France🇫🇷: 0.7%
Italy🇮🇹: -0.2%
Spain🇪🇸: 1.2%
Japan🇯🇵: 1.6%
UK🇬🇧: 0.3%
Canada🇨🇦: 1.5%
China🇨🇳: 4.4%
India🇮🇳: 6.1%
Russia🇷🇺: -2.3%
Brazil🇧🇷: 1%
Mexico🇲🇽: 1.2%
KSA🇸🇦: 3.7%
Nigeria🇳🇬: 3%
RSA🇿🇦: 1.1%https://t.co/VBrRHOfbIE #WEO pic.twitter.com/0TDJbgSuka
अमेरिका में आर्थिक तंगी की लगातार ख़बरें आ रही हैं। श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पहले ही कंगाल हो चुकी है। चीन में भी भयावह संकट के संकेत बताए जा रहे हैं। कई और देशों के श्रीलंका जैसी स्थिति होने की आशंका है। और इसी बीच हाल ही में मशहूर अर्थशास्त्री नूरील रूबिनी ने 2022 में भयावह आर्थिक मंदी की चेतावनी दी है।
हालाँकि कहा जा रहा था कि विश्व की आर्थिक मंदी से भारत उतना प्रभावित नहीं होगा। ऐसा कहे जाने के पीछे एक कारण भी था। 2021-22 के वित्तीय वर्ष (अप्रैल 2021 से मार्च 2022) में भारत का आर्थिक विकास 8.7 प्रतिशत की दर से बढ़ा था। और अर्थव्यवस्था के उबरने की रफ़्तार को देखते हुए ही बेहतर हालात का अनुमान लगाया गया था। लेकिन ये अनुमान अब घटता जा रहा है।
भारत की अर्थव्यवस्था एक साल पहले की तुलना में अप्रैल-जून तिमाही में 13.5 प्रतिशत बढ़ी थी, जबकि आरबीआई ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर लगभग 16.2 प्रतिशत होगी।
पहली तिमाही में अनुमान से कम विकास दर रही। यही वजह है कि आगे की तिमाहियों में भी अब विकास दर के अनुमान से कम होने की संभावना है।
बहरहाल, मंगलवार को जारी अपनी वार्षिक विश्व आर्थिक आउटलुक रिपोर्ट में आईएमएफ ने कहा कि भारत के लिए 2022 में 6.8 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है। जुलाई के पूर्वानुमान के बाद से 0.6 प्रतिशत अंक की गिरावट की गई है।
वैश्विक विकास का अनुमान 2021 में 6.0 प्रतिशत से 2022 में कम होकर 3.2 प्रतिशत और 2023 में 2.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वैश्विक वित्तीय संकट और कोरोना महामारी के चरम पर होने के समय को छोड़कर, यह 2001 के बाद से सबसे कमजोर विकास होगा है।
आर्थिक विकास के अनुमान सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के लिए मंदी को दर्शाते हैं। 2022 की पहली छमाही में अमेरिकी जीडीपी का सिकुड़ना, 2022 की दूसरी छमाही में यूरो क्षेत्र में संकुचन, और चीन में लंबे समय तक कोविड का प्रकोप और लॉकडाउन के साथ बढ़ते रियल एस्टेट के संकट से वैश्विक मंदी के संकेत मिलते हैं।
आईएमएफ़ ने कहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को लगातार चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसने तीन बड़े कारण गिनाए हैं- यूक्रेन पर रूसी आक्रमण, लगातार और व्यापक मुद्रास्फीति का दबाव और चीन में मंदी वाला संकट।
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