भारत से इतर कई देशों में पेगासस स्पाइवेयर से कथित जासूसी के मामले में कार्रवाई हो रही है। फ़्रांस की राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा के लिए ज़िम्मेदार एजेंसी एएनएसएसआई ने इसकी पुष्टि की है कि देश के दो पत्रकारों के फ़ोन में पेगासस स्पाइवेयर मौजूद था। फ़्रांस में खोजी पत्रकारिता करने वाली वेबसाइट मीडियापार्ट ने गुरुवार को यह रिपोर्ट दी है। यह किसी देश की पहली एजेंसी है जिसने जासूसी मामले की पुष्टि की है। एक दिन पहले ही ख़बर आई है कि इजरायल सरकार ने पेगासस स्पाइवेयर बनाने वाली कंपनी एनएसओ के दफ़्तरों पर छापे मारे हैं।
फ्रांस की सरकारी एजेंसी द्वारा इसकी पुष्टि किए जाने से पहले एक रिपोर्ट में कहा गया था कि लीक हुए डेटाबेस के इन नंबरों से जुड़े कुछ फ़ोन पर किए गए गै़र सरकारी फोरेंसिक जाँच से पता चला कि 37 फोन में पेगासस स्पाइवेयर से निशाना बनाए जाने के साफ़ संकेत मिले थे। इनमें से 10 भारतीय हैं।
'द गार्डियन', 'वाशिंगटन पोस्ट', 'द वायर' सहित दुनिया भर के 17 मीडिया संस्थानों ने पेगासस स्पाइवेयर के बारे में खुलासा किया है। एक लीक हुए डेटाबेस के अनुसार इजरायली निगरानी प्रौद्योगिकी फर्म एनएसओ के कई सरकारी ग्राहकों द्वारा हज़ारों टेलीफोन नंबरों को सूचीबद्ध किया गया था। द वायर के अनुसार इसमें 300 से अधिक सत्यापित भारतीय मोबाइल टेलीफोन नंबर शामिल हैं। ये नंबर विपक्ष के नेता, मंत्री, पत्रकार, क़ानूनी पेशे से जुड़े, व्यवसायी, सरकारी अधिकारी, वैज्ञानिक, अधिकार कार्यकर्ता और अन्य से जुड़े हैं।
इस मामले में कई देशों की सरकारों ने जाँच के आदेश दिए हैं। इसमें फ्रांस के अलावा अल्जीरिया, इजरायल और मेक्सिको जैसे देश शामिल हैं। मेक्सिको के अटॉर्नी जनरल ने हाल ही में कहा था कि एनएसओ ने जिस व्यक्ति थॉमस ज़ेरोन के साथ क़रार किया था, वह भाग कर इज़रायल चला गया और उसकी जाँच की जा रही है।
जिस इजरायल की कंपनी पर आरोप लगे हैं वहाँ भी जाँच के आदेश दिए गए हैं। इस मामले में बुधवार को ही इजरायली सरकारी अधिकारियों ने एनएसओ ग्रुप के कार्यालयों पर छापे मारे हैं।
इसकी पुष्टि ख़ुद एनएसओ के एक प्रवक्ता ने इजरायली समाचार वेबसाइट 'द रिकॉर्ड' से की। उसके अनुसार इजरायल के रक्षा मंत्रालय के प्रतिनिधियों ने उनके कार्यालयों का दौरा किया था।
दुनिया भर के कई देशों में जाँच की मांग के बीच ही भारत में भी विपक्षी दलों के नेताओं के साथ ही पत्रकार, वकील और सामाजिक कार्यकर्ता इसकी जाँच कराए जाने की मांग कर रहे हैं। विपक्षी दल संयुक्त संसदीय दल से जाँच कराने की मांग को लेकर संसद में हंगामा कर रहे हैं। इसके बावजूद सरकार इसके लिए तैयार नहीं हुई है। सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष शशि थरूर ने आरोप लगाया है कि जब उन्होंने समिति की बैठक में तीन मंत्रालयों के प्रतिनिधियों को बुलाया तो उन्होंने आख़िरी वक़्त में बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया। समिति में बीजेपी के 10 सदस्यों ने बैठक में मौजूदगी नहीं दिखाई जिस वजह से कोरम भी पूरा नहीं हो सका। इसको लेकर शशि थरूर ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को पत्र लिखकर शिकायत की है और अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की मांग की है।
लेकिन सरकार ने न तो स्वीकार किया है और न ही इनकार किया है कि स्पाइवेयर उसकी एजेंसियों द्वारा खरीदा और इस्तेमाल किया गया था। पहले सरकार ने एक बयान में कहा था कि उसकी एजेंसियों द्वारा कोई अनधिकृत रूप से इन्टरसेप्ट नहीं किया गया है और ख़ास लोगों पर सरकारी निगरानी के आरोपों का कोई ठोस आधार नहीं है।
पेगासस मामले की जाँच की मांग के लिए सुप्रीम कोर्ट में कम से कम तीन याचिकाएँ दायर की गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इन याचिकाओं पर अगले हफ़्ते सुनवाई की जा सकती है।
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