उत्तर प्रदेश में अंतरधार्मिक शादी करने वाले जोड़ों पर पुलिस के साथ-साथ संस्कृति के ठेकेदार बने कुछ संगठनों की भी नज़र है। बीते कुछ वक़्त में आए कथित लव जिहाद के मामलों के बाद ताजा मामला बलिया का है, जहां पर करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने एक अंतरधार्मिक शादी को रुकवा दिया। करणी सेना का कहना था कि यह जबरदस्ती धर्म परिवर्तन और लव जिहाद का मामला है।
यह घटना बुधवार को उस वक़्त हुई जब युवती अपने मंगेतर के साथ अपनी शादी को रजिस्टर करवाने के लिए एक स्थानीय अदालत में पहुंची थी।
लेकिन करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने अदालत परिसर में ही युवती पर कोतवाली जाने के लिए दबाव डाला। कोतवाली में हंगामा होने बाद पुलिस ने युवती को उसके परिजनों के हवाले कर दिया है और युवक के ख़िलाफ़ केस दर्ज कर लिया है।
नाम, जाति के बारे में पूछा
इस घटना के वीडियो में दिख रहा है कि करणी सेना के कार्यकर्ता एक युवती के साथ धक्का-मुक्की कर रहे हैं। युवती कहती है कि उसने 24 साल के शख़्स दिलशाद सिद्धीक़ी के साथ शादी कर ली है। लेकिन करणी सेना का कार्यकर्ता युवती से उसका नाम, उसकी जाति, लड़के की जाति पूछता है। वह यह भी पूछता है कि क्या वह लड़का मुसलिम है और तुम उससे क्यों शादी कर रही हो।
युवती कहती है कि वह दलित समुदाय से है, बालिग है और अपनी मर्जी से दिलशाद से शादी कर रही है। वीडियो से पता चलता है कि दिलशाद उबाहां पुलिस थाने के पादरी गांव का रहने वाला है। करणी सेना के लोग दिलशाद से भी सवाल पूछते हैं और उसे धमकाते हैं। हंगामा बढ़ने के बाद वह अदालत परिसर से भाग जाता है।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, इस घटना के एक और वायरल वीडियो में लोग इस युवती से पूछते हैं कि तुम अपने माता-पिता के साथ ऐसा कैसे कर सकती हो, जिन्होंने तुम्हें पाला-पोसा और पढ़ाया-लिखाया।
पिता ने दी शिकायत
उबाहां थाने के एसएचओ ज्ञानेश्वर मिश्रा ने बताया कि युवती के पिता ने अपनी शिकायत में कहा था कि उनकी बेटी दो दिन से घर नहीं लौटी है और उन्हें पता चला कि दानिश के साथ शामिल कुछ लोगों ने उनकी बेटी पर दबाव डालकर उसकी शादी करवा दी। एसएचओ ने कहा कि अदालत में हंगामा होने के बाद पिता ने इस मामले में शिकायत दी है।
उत्तर प्रदेश में ऐसी कई घटनाएं बीते महीनों में हो चुकी हैं, जहां या तो पुलिस ने यहां फिर ऐसे ही कुछ संगठनों ने अंतरधार्मिक शादियों को रुकवा दिया है। आगरा के ऐसे ही एक मामले में नजमा और नरेंद्र को 5 साल तक जेल में रहना पड़ा।
एटा ज़िले के एक मामले में जहां अंतरधार्मिक शादी हुई थी, पुलिस ने पूरे परिवार और रिश्तेदारों को जेल भेज दिया था।
कहा जा सकता है कि हत्या, बलात्कार, लूटपाट की ताबड़तोड़ वारदातों से सहमे उत्तर प्रदेश में पुलिस इन घटनाओं को तो रोक नहीं पा रही है लेकिन उसका सारा ध्यान इस बात पर है कि कहां पर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच शादियां हो रही हैं।
बीते साल कुशीनगर में हो रही एक शादी को पुलिस ने रुकवा दिया था। पुलिस को फ़ोन पर सूचना मिली ती कि एक मुसलिम लड़के की शादी हिंदू लड़की से हो रही है और उसका धर्म परिवर्तन कराया गया है। लेकिन अगले दिन पता चला कि लड़का और लड़की दोनों मुसलिम हैं। मतलब पुलिस यह भी जांच नहीं कर रही है कि उसे मिली सूचना सही है या ग़लत।
ऐसी ही कई और घटनाएं हैं, जिन्हें समझने के बाद कहा जा सकता है कि संविधान द्वारा बालिग युवक-युवतियों को अपना साथी चुनने का अधिकार देने के बाद भी इससे जुड़े क़ानून बनाना या पुलिस की ग़ैर क़ानूनी कार्रवाई पूरी तरह संविधान का मखौल उड़ाने जैसी है।
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