सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पेगासस सॉफ़्टवेअर मामले की सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ताओं को फटकार लगाई और कहा कि वे इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर बहस करना बंद करें और अदालत पर भरोसा रखें।
इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इस मामले पर अगली सुनवाई अगले सोमवार को होगी। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में पेगासस मामले की जाँच का आदेश देने की गुजारिश की गई है।
सरकार की ओर से पैरवी करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस मुद्दे पर और समय माँगा। इसके बाद ही अदालत ने सुनवाई टाल दी और अगली सुनवाई सोमवार को रखी।
मुख्य न्यायाधीश की फटकार
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एन. वी. रमना ने कहा, "याचिकाकर्ता मीडिया में बयान दे रहे हैं। हम चाहते है कि सारी बहस कोर्ट में हो। अगर याचिकाकर्ता सोशल मीडिया पर बहस करना चाहते है तो ये उन पर है।"
जस्टिस रमना ने इसके आगे कहा,
“
अगर याचिकाकर्ता कोर्ट में आए हैं तो उन्हें कोर्ट में बहस करनी चाहिए, उन्हें कोर्ट पर भरोसा रखना चाहिए। जो बात है वे कोर्ट में कहें, एक समानांतर कार्यवाही सोशल मीडिया के ज़रिये न करें।
जस्टिस एन. वी. रमना, मुख्य न्यायाधीश
क्या है मामला?
बता दें कि फ्रांसीसी मीडिया ग़ैर-सरकारी संगठन फॉरबिडेन स्टोरीज़ ने स्पाइवेअर पेगासस बनाने वाली इज़रायली कंपनी एनएसओ के लीक हुए डेटाबेस को हासिल किया तो पाया कि उसमें 10 देशों के 50 हज़ार से ज़्यादा लोगों के फ़ोन नंबर हैं।
इनमें से 300 भारतीय हैं। इस संगठन ने 16 मीडिया कंपनियों के साथ मिल कर इस पर अध्ययन किया। इसमें भारतीय मीडिया कंपनी 'द वायर' भी शामिल है।
'द वायर' ने कहा है कि एनएसओ के लीक हुए डेटाबेस में रजिस्ट्री के दो लोग एन. के गांधी और टी. आई. राजपूत के फ़ोन नंबर भी शामिल थे। जब इनके फ़ोन नंबर एनएसओ की इस सूची में जोड़े गए तो वे दोनों सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के रिट याचिका सेक्शन में थे।
सरकार ने संसद में क्या कहा?
सरकार ने संसद में कहा है कि पेगासस सॉफ़्टवेअर खरीदने के लिए इज़रायली कंपनी एनएसओ से कोई लेनदेन नहीं किया गया है।
यह अहम इसलिए है कि इज़रायली कंपनी यह कह चुकी है कि वह सिर्फ़ सरकारों या उसकी एजंसियों को ही पेगासस सॉफ़्टवेअर देती है।
रक्षा राज्य मंत्री ने मंगलवार को राज्यसभा में सीपीआईएम सदस्य डॉक्टर वी. शिवदासन के एक सवाल के जवाब में यह कहा है। मंत्री ने सदन में एक बयान दिया, जिसमें यह कहा गया है।
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