एनसीईआरटी की किताबों से संविधान की प्रस्तावना हटा दी गई। आखिर सरकार बच्चों को संविधान की प्रस्तावना पढ़ने से क्यों रोक रही है।प्रस्तावना कक्षा 3 की किसी भी नई पाठ्यपुस्तक में मुद्रित नहीं है। यह कक्षा 6 की किताब से भी गायब है। स्कूल की किताबों से संविधान की प्रस्तावना हटाने के गहरे अर्थ हैं और इसके पीछे साजिश को भी समझा जा सकता है।
क्या एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों में अयोध्या विवाद से जुड़े बाबरी मस्जिद विध्वंस और लालकृष्ण आडवाणी की राम रथयात्रा गैरज़रूरी है और इसे छात्रों को नहीं पढ़ाया जाना चाहिए? जानिए, एनसीईआरटी निदेशक की अजीब दलील।
एनसीईआरटी ने 12वीं के इतिहास की पुस्तक में आर्यों के उद्गम स्थल और हड़प्पा सभ्यता को लेकर बड़ा दावा कर दिया है। जानिए, इतिहास की घटनाएँ किस ओर इशारा करती हैं- क्या आर्य बाहर से आए थे या फिर वे हड़प्पा सभ्यता में निवास करने वाले ही लोग थे?
पाठ्यपुस्तकों में बदलाव लाने और इतिहास की किताबों को फिर से लिखे जाने को लेकर बार-बार बयान देते रहने वाली मोदी सरकार में अब 12वीं के इतिहास की पुस्तक में बड़ा बदलाव किया है। जानिए, आर्यों को लेकर क्या दावा किया गया है।
एनसीईआरटी के बाद यूपी बोर्ड की किताबों से अब जवाहर लाल नेहरू को हटा दिया गया है। जुलाई से शुरू हो रहे सत्र से बच्चे नेहरू की जगह विवादास्पद सावरकर की जीवन पढ़ेंगे।
33 शिक्षाविदों ने राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) को पत्र लिखकर राजनीति विज्ञान की पुस्तकों से खुद का नाम हटाने की मांग की है
एनसीईआरटी द्वारा कुछ विषयों को हटाये जाने के विवाद के बीच इसके सलाहाकार अब एनसीईआरटी से राजनीति विज्ञान की किताबों से अपने नाम हटाने को क्यों कह रहे हैं?
एनसीईआरटी की किताबों से नाम गायब करने के सिलसिले में अब पता चला है कि स्वतंत्रता सेनानी और देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद का नाम किताब से गायब कर दिया। आजाद वही नेता थे, जिन्होंने 14 साल के बच्चों को मुफ्त अनिवार्य शिक्षा की वकालत की थी। जानिए पूरी कहानीः
देश के जाने-माने इतिहासकारों और केरल राज्य ने एनसीईआरटी की हरकत का जबरदस्त विरोध किया है। पाठ्यपुस्तकों से हटाए गए हिस्से केरल में पढ़ाए जाएंगे। वहां किताबें फिर से छापी जाएंगी।
एनसीईआरटी ने तमाम स्कूली किताबों में जो बदलाव किए हैं, उससे सिखों की सबसे बड़ी संस्था एसजीपीसी भी खुश नहीं है। एसजीपीसी अध्यक्ष ने एक बयान में कहा कि सिखों के इतिहास को गलत तरीके से पेश किया गया है।
महात्मा गांधी के प्रपौत्र केंद्र सरकार द्वारा स्कूल-कॉलेज की किताबों से गांधी पर चैप्टर हटाए जाने पर बेहद नाराज हैं। उनका कहना है कि महात्मा गांधी कि विरासत से आरएसएस और भाजपा हमेशा परेशान रहे हैं। जैसे ही उन्हें मौका मिला, उन्होंने अपना दोगलापन दिखा दिया। अब वो उस गांधी को पेश करेंगे जो उनके अनुकूल है।
एनसीईआरटी द्वारा पाठ्यपुस्तकों में किये जाने वाले बदलावों की घोषणा एक बुकलेट के जरिए की गई थी, जिसे एनसीईआरटी की आधिकारिक वेबसाइट पर भी अपलोड किया गया था और औपचारिक रूप से सभी स्कूलों के साथ भी साझा किया गया था।