राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद यानि एनसीईआरटी इन दिनों अपने पाठयक्रम मे बदलाव कर रहा है। पाठ्यक्रम में हो रहे बदलाव का प्रमुख कारण स्कूली बच्चों के कंधों से बस्ते का बोझ कम करना है। तमाम शिक्षाविद इसको लेकर पहले से शिफारिश करते रहे हैं। बस्ते का बोझ कम करने के लिहाज से यह एक अच्छा कदम है। लेकिन हालिया बदलाव बस्ते का बोझ कम करने की बजाए एक विचारधारा और राजनीति को चुभने वाली विषयवस्तु को हटाने के प्रयास ज्यादा लग रहे हैं। हालिया बदलावों को लेकर तमाम तबकों से शिकायतें भी आ रही हैं। सबसे ज्यादा विरोध हिंदी साहित्य के पाठ्यक्रम में हुए बदलाव पर हो रहा है। इस विरोध का कारण का इसमें निराला और फिराख गोरखपुरी की कविताओं को पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है।