क्या आर्य बाहर से आए थे या फिर वे हड़प्पा सभ्यता में निवास करने वाले ही लोग थे? इस तथ्य को लेकर अलग-अलग तथ्य और तर्क दिए जाते रहे हैं, लेकिन अब एनसीईआरटी ने 12वीं के इतिहास की पुस्तक में बड़ा बदलाव किया है। इसने इस बदलाव को लेकर इस दावे को ध्यान में रखा है जिसमें कहा गया है कि हरियाणा में सिंधु घाटी स्थल, राखीगढ़ी में पुरातात्विक स्रोतों से मिले प्राचीन डीएनए के हालिया अध्ययन आर्य आप्रवासन के तथ्य को खारिज करते हैं। इसमें यह भी कहा गया है कि इस बात पर अधिक शोध की ज़रूरत है कि क्या हड़प्पा और वैदिक लोग एक ही थे।
एनसीईआरटी ने 12वीं कक्षा के इतिहास में किया बदलाव, हड़प्पावासी मूल निवासी थे'
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- 4 Apr, 2024
पाठ्यपुस्तकों में बदलाव लाने और इतिहास की किताबों को फिर से लिखे जाने को लेकर बार-बार बयान देते रहने वाली मोदी सरकार में अब 12वीं के इतिहास की पुस्तक में बड़ा बदलाव किया है। जानिए, आर्यों को लेकर क्या दावा किया गया है।

हड़प्पा सभ्यता की उत्पत्ति और पतन पर कक्षा 12 के छात्रों के लिए बनी इतिहास की किताब में ये बड़े बदलाव किए गए हैं। ये बदलाव शैक्षणिक वर्ष 2024-25 के लिए किए गए हैं। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार हड़प्पा सभ्यता से संबंधित सुधार और हटाए जाने को इस आधार पर उचित ठहराया गया है कि 'पुरातात्विक स्थलों से मिले हाल के साक्ष्य उस अध्याय में सुधार की मांग करते हैं। बदलाव मुख्य रूप से हड़प्पा सभ्यता की '5000 वर्षों तक अटूट निरंतरता' पर जोर देते हैं। आर्य आप्रवासन को खारिज करने के लिए राखीगढ़ी स्थल पर किए गए हालिया पुरातत्व अनुसंधान का हवाला दिया गया है और सुझाव दिया गया है कि हड़प्पावासियों ने किसी तरह की लोकतांत्रिक प्रणाली अपनाई थी।