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संविधान की प्रस्तावना कक्षा 3 की किसी भी नई पाठ्यपुस्तक में नहीं छापी गई है।
कक्षा 6 के लिए, एनसीईआरटी ने इस वर्ष पर्यावरण अध्ययन पर केवल एक किताब जारी की है। पहले यह तीन किताबें प्रकाशित करता था। न तो संस्कृत पाठ्यपुस्तक "दीपकम" और न ही कक्षा 6 की नई अंग्रेजी पाठ्यपुस्तक "पूर्वी" में प्रस्तावना शामिल है। द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार, अब इन दोनों प्रकाशनों में राष्ट्रीय गीत और गान शामिल हैं।
सेंट स्टीफंस कॉलेज की पूर्व फैकल्टी सदस्य नंदिता नारायण ने द टेलीग्राफ से कहा कि प्रस्तावना संविधान का एक लघु रूप है और राष्ट्रगान, राष्ट्रीय गीत या मौलिक अधिकार और कर्तव्य इसकी जगह नहीं ले सकते। मुझे नहीं लगता कि यह कोई संयोग है। मुझे लगता है कि भाजपा सरकार संविधान की प्रस्तावना से डरती है, जिसमें आजादी, समानता और बंधुत्व जैसे संविधान के मूल मूल्य शामिल हैं। इस सरकार ने संविधान के मूल मूल्यों के खिलाफ काम किया है। इसलिए इसने कई पुस्तकों से प्रस्तावना को हटा दिया है।”
एनसीईआरटी के पाठ्यचर्या अध्ययन और विकास विभाग की प्रमुख प्रोफेसर रंजना अरोड़ा के अनुसार, इस दावे का समर्थन करने के लिए कोई ठोस सबूत नहीं है कि प्रस्तावना को एनसीईआरटी पाठ्यपुस्तकों से हटा दिया गया। प्रस्तावना, मौलिक कर्तव्य, मौलिक अधिकार और राष्ट्रगान भारतीय संविधान के उन पहलुओं में से हैं जिन पर एनसीईआरटी अब पहली बार उच्च प्राथमिकता दे रहा है।
उन्होंने कहा- "यह समझ कि केवल प्रस्तावना ही संविधान और संवैधानिक मूल्यों को प्रतिबिंबित करती है, त्रुटिपूर्ण और संकीर्ण सोच है। बच्चों को प्रस्तावना के साथ-साथ मौलिक कर्तव्यों, मौलिक अधिकारों और राष्ट्रगान से संवैधानिक मूल्य क्यों नहीं प्राप्त होने चाहिए? हम समग्र विकास के लिए इन सभी को समान महत्व देते हैं।"
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