एनसीईआरटी ने अपनी किताबों में मुसलिम शासकों से जुड़े इतिहास में बड़े पैमाने पर काट-छांट की है। द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, एनसीईआरटी की किताबों में मुसलिम शासकों से जुड़े जिस कंटेंट में कटौती की गई है उसमें दिल्ली सल्तनत से जुड़ा इतिहास भी शामिल था। जैसे- कक्षा 7 की इतिहास की किताब 'अवर पास्ट्स- II' से जो कंटेंट हटाया गया है उसमें मामलुक, तुगलक, खिलजी और लोधी राजवंशों और मुगल साम्राज्य के इतिहास को हटा दिया गया है।
इसके अलावा भी कक्षा 6 से 12वीं तक की किताबों में से काफी कुछ हटाया गया है।
जैसे- एनसीईआरटी ने 12वीं कक्षा की किताब से गुजरात दंगों के कंटेंट सहित, नक्सल आंदोलन से जुड़ा इतिहास और आपातकाल से जुड़े हुए विवादों को भी हटा दिया है।
एनसीईआरटी ने कहा है कि कोरोना महामारी के कारण बने हालात के मद्देनजर यह जरूरी था कि छात्रों के लिए किताबों से थोड़ा बोझ कम किया जाए और इन्हें और बेहतर बनाया जाए जिससे महामारी के दौरान पढ़ाई में हुए नुक़सान की तेज़ी से भरपाई की जा सके।
'अवर पास्ट्स- II' के तीन पेजों से जो कंटेंट हटाया गया है उसमें कहा गया था कि मस्जिद वह जगह है जहां पर मुसलमान अल्लाह की इबादत में सजदा करते हैं और एक साथ अपनी नमाज पढ़ते हैं। यह भी कहा गया था कि नमाज के दौरान मुसलमान मक्का की ओर मुंह करके खड़े होते हैं जो भारत में पश्चिम दिशा की ओर है और इसे क़िबला कहा जाता है।
इसके अलावा अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा मंगोलों के बार-बार हमले का जवाब दिए जाने को भी किताब से हटा दिया गया है।
सातवीं की किताब में ‘द मुगल एंपायर’ नाम का जो चैप्टर है उसमें भी मुगल शासकों जैसे- हुमायूं, शाहजहां, बाबर, अकबर, जहांगीर और औरंगजेब के द्वारा किए गए बेहतर कामों और उनकी उपलब्धियों को कम किया गया है।
इसी तरह कक्षा 12वीं में इतिहास की किताब से 'किंग्स एंड क्रॉनिकल्स: द मुगल कोर्ट्स' (भारतीय इतिहास में विषय-वस्तु - भाग II) को हटा दिया गया है। इस चैप्टर में मुगल शासन काल की पांडुलिपियों जैसे अकबरनामा और बादशाहनामा और उस दौरान हुए युद्ध, इमारतों का निर्माण और दरबार के माध्यमों से मुगल इतिहास को बताया गया था।
अफगानिस्तान के महमूद गजनी के नाम के आगे से सुल्तान टाइटल हटा दिया गया है। जिस चैप्टर का नाम द मुगल एंपायर था उसे बदलकर मुगल (16वीं से 17वीं शताब्दी)' कर दिया गया है।
इसी तरह अकबर की नीतियों से जुड़े एक सेक्शन में अकबर के प्रशासन, अलग-अलग धर्मों के लोगों और उनके सामाजिक रीति-रिवाजों में अकबर की इच्छाओं और अकबर ने किस तरह संस्कृत के काम का फारसी भाषा में अनुवाद कराया, उसे भी हटा दिया गया है।
एक चैप्टर के शीर्षक 'द दिल्ली सुल्तान्स' को बदलकर 'दिल्लीः 12वीं से 15वीं सदी' तक कर दिया गया है।
एनसीईआरटी ने पूरी तरह से आजाद मुगल राजनीतिक रियासतों अवध, बंगाल और हैदराबाद से जुड़े हुए कंटेंट को भी हटाया है जबकि राजपूतों, मराठों, सिखों और जाटों के नियंत्रण वाली रियासतों से जुड़े कंटेंट को बरकरार रखा है।
‘सेलेक्टिव नहीं’
एनसीईआरटी के डायरेक्टर दिनेश सकलानी ने इन बदलावों को लेकर द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि यह बिल्कुल भी सेलेक्टिव नहीं है और हमने सभी विषयों से पाठ्यक्रम का बोझ कम करने की कोशिश की है न कि सिर्फ सोशल साइंस से।
उन्होंने कहा कि एनसीईआरटी ने ऐसा गणित और विज्ञान की किताबों में भी किया है और ऐसा बेहद प्रोफेशनल ढंग से और विशेषज्ञों की मदद से किया गया है।
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