loader

बाबरी विध्वंस हटाने पर NCERT निदेशक बोले- ‘दंगों के बारे में क्यों पढ़ें?'

एनसीईआरटी अपनी पाठ्यपुस्तकों को लेकर फिर से विवाद में है। पहले तो बाबरी मस्जिद विध्वंस और लालकृष्ण आडवाणी की राम रथयात्रा को पाठ्यक्रम से हटा दिया गया। और जब इस पर सवाल पूछे गए तो एनसीईआरटी निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी ने तर्क भी अजीब दिया है। हालिया बदलावों को लेकर उठे विवाद के बीच उन्होंने कहा है कि घृणा और हिंसा शिक्षा के विषय नहीं हैं और स्कूली पाठ्यपुस्तकों में इन पर ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए।

एनसीईआरटी यानी राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण की पाठ्यपुस्तकों में जो बदलाव किए गए हैं उसमें बाबरी मस्जिद विध्वंस और भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी के नेतृत्व वाली राम रथ यात्रा के संदर्भों को हटाना भी शामिल है।

ताज़ा ख़बरें

बदलावों की आलोचना किए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए एनसीईआरटी के निदेशक दिनेश प्रसाद सकलानी ने कहा कि 'पाठ्यक्रम का भगवाकरण करने का कोई प्रयास नहीं किया गया'। उन्होंने दावा किया है कि सभी बदलाव साक्ष्यों और तथ्यों पर आधारित थे। यह पूछे जाने पर कि बाबरी मस्जिद विध्वंस या उसके बाद हुई सांप्रदायिक हिंसा के संदर्भ क्यों हटा दिए गए, सकलानी ने पीटीआई से कहा, 'हमें स्कूल की पाठ्यपुस्तकों में दंगों के बारे में क्यों पढ़ाना चाहिए? हम सकारात्मक नागरिक बनाना चाहते हैं, न कि हिंसक और हतास नागरिक'।

सकलानी ने कहा कि स्कूलों में इतिहास तथ्यों को बताने के लिए पढ़ाया जाता है, न कि इसे युद्ध का मैदान बनाने के लिए। उन्होंने कहा, 'घृणा, हिंसा स्कूल में पढ़ाने के विषय नहीं हैं, इन विषयों पर पाठ्यपुस्तकों का ध्यान नहीं होना चाहिए।'

उन्होंने कहा, 'क्या हमें अपने छात्रों को इस तरह से पढ़ाना चाहिए कि वे आक्रामक हो जाएं, समाज में नफरत पैदा करें या नफरत का शिकार बनें? क्या यही शिक्षा का उद्देश्य है? क्या हमें ऐसे छोटे बच्चों को दंगों के बारे में पढ़ाना चाहिए... जब वे बड़े हो जाएंगे, तो वे इसके बारे में जान सकते हैं, लेकिन स्कूल की पाठ्यपुस्तकों में क्यों? उन्हें बड़े होने पर यह समझने दें कि क्या हुआ और क्यों हुआ। बदलावों के बारे में हंगामा बेमतलब है।'
कक्षा 12 की राजनीति विज्ञान की नई पाठ्यपुस्तक में अयोध्या की बाबरी मस्जिद को 'तीन गुंबद वाली संरचना' के रूप में बताया गया है और सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले पर ध्यान केंद्रित किया गया है जिसने राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ़ किया।

उन्होंने कहा, 'अगर सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर, बाबरी मस्जिद या राम जन्मभूमि के पक्ष में फैसला दिया है, तो क्या इसे हमारी पाठ्यपुस्तकों में शामिल नहीं किया जाना चाहिए, इसमें क्या समस्या है? हमने नए अपडेट शामिल किए हैं। अगर हमने नई संसद का निर्माण किया है, तो क्या हमारे छात्रों को इसके बारे में नहीं पता होना चाहिए? प्राचीन घटनाक्रम और हाल के घटनाक्रमों को शामिल करना हमारा कर्तव्य है।'

भगवाकरण के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए सकलानी ने कहा, 'अगर कोई चीज अप्रासंगिक हो गई है, तो उसे बदलना होगा। इसे क्यों नहीं बदला जाना चाहिए? मुझे यहां कोई भगवाकरण नहीं दिखता। हम इतिहास इसलिए पढ़ाते हैं ताकि छात्रों को तथ्यों के बारे में पता चले, न कि इसे युद्ध का मैदान बनाने के लिए।'

देश से और ख़बरें

द इंडियन एक्सप्रेस ने रविवार को ख़बर दी थी कि पिछले सप्ताह बाजार में आई एनसीईआरटी की कक्षा 12 की राजनीति विज्ञान की संशोधित पाठ्यपुस्तक में बाबरी मस्जिद का नाम नहीं लिया गया है, इसे 'तीन गुंबद वाली संरचना' कहा गया है, अयोध्या खंड को चार से घटाकर दो पृष्ठ कर दिया गया है और पहले के संस्करण से महत्वपूर्ण विवरण हटा दिए गए हैं। इनमें शामिल हैं- गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक भाजपा की रथ यात्रा; कारसेवकों की भूमिका; 6 दिसंबर, 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद सांप्रदायिक हिंसा; भाजपा शासित राज्यों में राष्ट्रपति शासन; और भाजपा द्वारा अयोध्या में हुई घटनाओं पर खेद व्यक्त करना। 

सकलानी ने साफ़ किया कि वे पाठ्यपुस्तकों के संशोधन की प्रक्रिया में निर्देश या हस्तक्षेप नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि यह विषय विशेषज्ञों द्वारा किया गया था।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें