लोकसभा चुनाव में भाजपा को बहुमत नहीं मिला लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार बनाने में कामयाब हो गए। चुनाव नतीजों के बाद आरएसएस लगातार नरेंद्र मोदी पर प्रहार कर रहा है। भाजपा की हार को आरएसएस नरेंद्र मोदी के अहंकार की पराजय बता रहा है। मोहन भागवत से लेकर इंद्रेश कुमार तक चुनाव नतीजे को मोदी के अहंकार और राम के न्याय के रूप में दर्ज कर रहे हैं। आरएसएस द्वारा की जा रही बयानबाजी क्या नरेंद्र मोदी के खिलाफ है? इन बयानों को आरएसएस और नरेंद्र मोदी के बीच बढ़ती दूरियों के रूप में भी देखा जा रहा है। कुछ विश्लेषक इसे भाजपा के विभाजन का संकेत भी मान रहे हैं। मोदी और योगी के बीच बढ़ती दूरियों और पसरी खामोशी को भी इस बयानबाजी के संदर्भ में देखा जा रहा है। कुछ लोग तो यहां तक कह रहे हैं, आरएसएस योगी को आगे करके मोदी-शाह यानी गुजरात लॉबी को निपटाने के मूड में है! क्या इस बात को स्वीकार किया जा सकता है? आरएसएस जो कह रहा है, क्या उसका अर्थ वही है या कुछ और?