उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के एक हालिया आदेश की कड़ी आलोचना करते हुए भारतीय न्यायपालिका पर निशाना साधा। राष्ट्रपति को राज्यपालों द्वारा भेजे गए विधेयकों पर समयबद्ध तरीक़े से कार्रवाई करने का निर्देश का सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को धनखड़ ने संवैधानिक ढाँचे पर हमला बताया। धनखड़ ने इसे ज्यूडिशियल ओवररीच क़रार देते हुए चेतावनी दी कि इससे देश की संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता ख़तरे में पड़ सकती है। ज्यूडिशियल ओवररीच तब कहा जाता है जब न्यायपालिका विधायिका और कार्यपालिका के मामलों में हस्तक्षेप करती है। धनखड़ के बयान ने कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच टकराव की बहस को फिर से हवा दे दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए राष्ट्रपति को निर्देश दिया कि वे राज्यपालों द्वारा भेजे गए विधेयकों पर समयबद्ध तरीक़े से फ़ैसला लें। यह आदेश उन मामलों से जुड़ा था, जहाँ कुछ राज्यों ने दावा किया कि उनके विधेयकों को राष्ट्रपति भवन में अनावश्यक देरी का सामना करना पड़ रहा है। कोर्ट ने इसे विधायी प्रक्रिया में बाधा माना और कार्यपालिका को जवाबदेह बनाने की कोशिश की।
President of India is a very elevated position. President takes oath to preserve, protect and defend the constitution. This oath is taken only by the President and the Governors.
— Vice-President of India (@VPIndia) April 17, 2025
If you look at the Indian Constitution, the President is the first part of the Parliament. Second… pic.twitter.com/Tfr8c6dPot