कक्षा 10 के छात्र अब एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकों से लोकतंत्र और विविधता, जन संघर्ष और आंदोलन, राजनीतिक दल, लोकतंत्र की चुनौतियाँ आदि के बारे में नहीं सीख पाएँगे। दरअसल, एनसीईआरटी ने कक्षा 10 की पाठ्यपुस्तकों से इनसे जुड़े पूरे अध्यायों को हटा दिया है।
पिछले कुछ समय से एनसीईआरटी के पाठ्यपुस्तकों में होने वाले बदलाओं को लेकर लगातार विवाद होता रहा है। पिछले महीने ही कक्षा 9 और कक्षा 10 की विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों से चार्ल्स डार्विन के इवॉल्यूशन के सिद्धांत को हटाने के एनसीईआरटी के फ़ैसले की आलोचना हुई थी और अब 10वीं कक्षा के पाठ्यक्रम को लेकर विवाद बढ़ने की संभावना है।
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद यानी एनसीईआरटी ने जो यह क़दम उठाया है, उसने छात्रों पर भार कम करने और पाठ्यपुस्तकों को तार्किक बनाने की बात कहकर इसको लागू किया। इसे कोरोना महामारी और लॉकडाउन के दौरान लागू किया गया था और तर्क दिया गया था कि क्योंकि बच्चों ने स्कूलों में पढ़ाई नहीं की है इसलिए छात्रों की सहूलियत के लिए इसे लागू किया गया। लेकिन सवाल है कि अब कोरोना महामारी और लॉकडाउन के ख़त्म होने के बाद यह फ़ैसला क्यों? इसी को लेकर विवाद बढ़ने के आसार हैं।
कोरोना महामारी के दौरान इन अध्यायों को अस्थायी रूप से पाठ्यक्रम से बाहर कर दिया गया था। लेकिन अब स्थिति बदली हुई है। बदली हुई परिस्थिति में भी आवर्त सारणी, लोकतंत्र और विविधता, जन संघर्ष और आंदोलन, राजनीतिक दल, लोकतंत्र की चुनौतियाँ, ऊर्जा के स्रोत जैसे अध्यायों को हटा लिया गया।
एनसीईआरटी का कहना है कि कोरोना महामारी को देखते हुए छात्रों पर भार कम करना अनिवार्य था। इसी को देखते हुए कहा गया कि कठिनाई का स्तर, सामग्री बार-बार आना, और वर्तमान संदर्भ में अप्रासंगिक सामग्री से जुड़े इन अध्यायों को पाठ्यक्रम से हटाया गया है।
इनसे जुड़े अध्यायों को कक्षा 11 और कक्षा 12 में रखा गया है। लेकिन इसे वे ही पढ़ पाएँगे जो इससे जुड़े संकाय और विषय को चुनेंगे।
पीरियोडिक टेबल कितना अहम?
भारत में कक्षा 10 अंतिम वर्ष है जिसमें विज्ञान अनिवार्य विषय के रूप में पढ़ाया जाता है। लेकिन अब केवल वे छात्र जो 11वीं व 12वीं में शिक्षा के अंतिम दो वर्षों में रसायन विज्ञान का अध्ययन करने का चुनाव करते हैं, वे ही आवर्त सारणी के बारे में जान पाएँगे।
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