पहले यह कविता देख लें। 'छह साल की छोकरी,
पहली कक्षा के बच्चों के बीच कहाँ से और क्यों चली आई छोकरी?
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- 23 May, 2021

काश हिंदी के पाठ्यक्रम और एक भाषा के रूप में उसके इस्तेमाल को लेकर हम ज़्यादा सजग होते, वरना इन दिनों फ़िल्मों और टीवी सीरियलों और समाचार चैनलों पर जितनी अशुद्ध, भ्रष्ट और स्मृतिविहीन हिंदी लिखी हुई दिखाई पड़ती है, वह अपने-आप में एक डरावना परिदृश्य बनाती है।
भरकर लाई टोकरी।
टोकरी में आम हैं,
नहीं बताती दाम है।
दिखा-दिखाकर टोकरी,
हमें बुलाती छोकरी।
हम को देती आम है,
नहीं बुलाती नाम है।
नाम नहीं अब पूछना,
हमें आम है चूसना।'