कृषि कानूनों की वापसी के प्रस्ताव को सरकार ने बिना बहस के संसद से क्यों पारित करवाया? क्या सरकार विपक्ष के सवालों का जवाब नहीं देना चाहती थी? क्या उसे लग रहा था कि अगर बहस हुई तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छीछालेदर होगी? क्या सरकार का ये रवैया संसद और लोकतंत्र का अपमान नहीं है? डॉ. मुकेश कुमार के साथ चर्चा में शामिल हैं- एन. के. सिंह, राजेश बादल, विजय त्रिवेदी और पुष्पेंद्र सिंह-