कृषि क़ानूनों के वापस लेने से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कामकाज की शैली और उनके तौर तरीकों पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
मोदी की मनमर्जी की कार्यशैली की वजह से कृषि क़ानून रद्द?
- देश
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- 20 Nov, 2021
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मनमर्जी की कार्यशैली की वजह से ही कृषि क़ानूनों को अंत में रद्द करना पड़ा, रद्द करने के तरीके से भी उनकी यह कार्यशैली ही उजागर होती है।

मोदी ने 2020 में बगै़र मंत्रिमंडल के राय मशविरे के इन क़ानूनों से जुड़े अध्यादेश जारी कर दिए थे और बाद में सदन में शोर- शराबे और नियम के उल्लंघन के आरोपों के बीच इन्हें पारित करवा लिया था। और अब बगैर मंत्रिमंडल की बैठक के ही इन क़ानूनों को वापस लेने का एलान भी कर दिया।
मोदी की मनमर्जी?
इससे यह साफ है कि सरकार ने इतने अहम क़ानूनों पर किसी तरह की आम राय बनाने की कोशिश नहीं की, किसान संगठनों, अर्थशास्त्रियों, अपनी पार्टी और अपनी सरकार तक से इस पर विचार विमर्श नहीं किया। इसी तरह इन क़ानूनों को वापस लेते वक़्त भी किसी से सलाह नहीं ली और यकायक घोषणा कर दी। ठीक इसी तरह नोटबंदी और लॉकडाउन से जुड़े एलान भी किए गए थे।