रस्सी जल गई मगर ऐंठ नहीं गई। तीनों कृषि क़ानूनों को वापस लेने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार जिस तरह से व्यवहार कर रही है, यह मुहावरा उसे सटीक ढंग से प्रतिबिंबित करता है। एकतरफा फ़ैसले लेने और सर्वज्ञ होने का अहंकार उनमें ज्यों का त्यों है। किसानों से संवाद का रास्ता दस दिन बाद भी उन्होंने नहीं खोला है।