तथाकथित धर्म संसदों में महात्मा गाँधी को दी गई ग़ालियाँ हिंदुत्व की राजनीति के नए चरण में प्रवेश की एक और उद्घोषणा है। ये उद्घोषणा बताती है कि हिंदुत्व अब और अतिवादी हो रहा है, हिंसक रूप अख़्तियार करने जा रहा है। चाहे मुसलमानों के सफाए की बात हो या फिर गाँधी पर भद्दी टिप्पणियों की बौछार दोनों ही तालिबानी हिंदुत्व के आगमन का शंखनाद है।
गाँधी को गालियाँ क्यों दे रहे हैं गोडसेवादी?
- देशकाल
- |
- |
- 29 Mar, 2025

संघ परिवार को इसमें कोई आपत्ति नहीं है, बल्कि बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व की चुप्पी बताती है कि इसमें उसकी सहमति है। वास्तव में ये एक तरह की जुगलबंदी है। इसीलिए प्रज्ञा ठाकुर जब गोडसे का महिमामंडन करती हैं तो प्रधानमंत्री दोमुँहा बयान देते हैं। वे कहते हैं कि वे कभी मन से माफ़ नहीं करेंगे, मगर उसके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई भी नहीं करते।
ये शंखनाद है भारतीय राष्ट्रवाद पर निर्णायक हमला करने का। वह भारतीय राष्ट्रवाद जो आज़ादी के आंदोलन के दौरान गढ़ा गया, जिसे गाँधी, नेहरू, पटेल, अंबेडकर, मौलाना आजाद, भगतसिंह के नामों से पहचाना जाता है और जो हिंदू राष्ट्र की राह की एक बढ़ी रुकावट है।
इस राष्ट्रवाद को ढहाकर ही हिंदू राष्ट्र का ध्वज लहराया जा सकता है।