छह जनवरी को जस्टिस एन वी रमना को सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश बने नौ महीने हो जाएंगे। इन नौ महीनों में जस्टिस रमना ने सुप्रीम कोर्ट के बारे में आम धारणा को काफ़ी बदला है। उनसे पहले के प्रधान न्यायाधीशों (दीपक मिश्रा, रंजन गोगोई, एस.ए. बोबडे) ने जिस तरह से व्यवहार किया था, उससे न्याय व्यवस्था में लोगों की आस्था को ज़बर्दस्त धक्का लगा था। लोग इस निष्कर्ष पर पहुँचने लगे थे कि जिस तरह से सरकार ने दूसरी संवैधानिक संस्थाओं को कमज़ोर करके अपने राजनीतिक एजेंडे के लिए इस्तेमाल करने का साधन बना लिया है, वैसे ही अब न्यायपालिका भी उसके नियंत्रण में चली गई है।