केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने संकेत दिया है कि सरकार वापस लिए जा चुके कृषि क़ानून 2020 एक बार ला सकती है।
कृषि मंत्री ने महाराष्ट्र के नागपुर में कहा, "हम कृषि संशोधन क़ानून लेकर आए थे। कुछ लोगों ने इसे पसंद नहीं किया। यह आज़ादी के 70 साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक बहुत बड़ा सुधार था।"
इसके आगे कृषि मंत्री ने कहा,
“
लेकिन सरकार निराश नहीं है। हम एक कदम पीछे हट गए थे, हम फिर आगे बढेंगे क्योंकि किसान भारत की रीढ हैं।
नरेंद्र सिंह तोमर, कृषि मंत्री
क्या कहा था प्रधानमंत्री ने?
याद दिला दें कि पिछले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टेलीविज़न पर राष्ट्र के नाम संबोधन में कृषि क़ानून वापस लेने का एलान करते हुए कहा था कि सरकार कुछ लोगों को समझा नहीं पाई थी। उन्होंने कहा था, "शायद हमारी तपस्या में ही कुछ कमी रह गई थी।" उन्होंने कृषि क़ानून वापस लेने का एलान करने के साथ ही इसके लिए देश से माफ़ी भी माँगी थी।क्या कहा था कृषि मंत्री ने?
उस समय कृषि मंत्री तोमर ने एक नोट में कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ आन्दोलन चला रहे संगठनों पर ठीकरा फोड़ते हुए कहा था कि किसानों को बरगलाया गया। उन्होंने कहा था कि कुछ लोगों को यह क़ानून पसंद नहीं आया।
अब एक बार फिर कृषि मंत्री वही बात कह रहे हैं। इससे इस आशंका को बल मिलता है कि सरकार पाँच राज्यों के विधानसभा चुनाव हो जाने के बाद एक बार फिर इन क़ानूनों को मामूली बदलाव के साथ पेश कर सकती है।
इस तरह साल भर तक आन्दोलन चलने और सात सौ से ज़्यादा किसानों की मौत के बाद जिन क़ानूनों को संसद में प्रस्ताव रख कर वापस ले लिया गया था, उन्हें फिर लाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
इस दौरान सत्तारूढ़ बीजेपी और सरकार के कई मंत्रियों ने इन आन्दोलनकारी किसानों को खालिस्तानी और देशद्रोही तक कहा था। उन्हें नकली किसान बताया गया था और कहा गया था कि इसके पीछे चीन और पाकिस्तान का हाथ है जो भारत को अंदर से कमज़ोर करने के लिए किसानों को सामने ले आए हैं। कई जगहों पर किसानों पर पुलिस ज़्यादती की घटनाएं भी हुई थीं।
मीडिया के एक हिस्से ने भी किसानों की छवि खराब करने की भरपूर कोशिश की थी, उन्हें नकली किसान, पाकिस्तान का एजेंट, चीन और अमेरिका की शह पर काम करने वाला बताया गया था।
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