आज़ादी के 76 साल में विभाजन को लेकर तरह-तरह के सवाल उठते रहे हैं। एक तो सवाल विभाजन की विभीषिका को लेकर ही उठ रहे हैं। ऐसे में क्या इसकी कल्पना की जा सकती है कि यदि देश बँटा नहीं होता तो क्या होता?
आंबेडकर समता पर आधारित एक आर्थिक शक्ति संपन्न लोकतांत्रिक भारत बनाना चाहते थे। लेकिन क्या हम आंबेडकर के सपनों का भारत बना पाए हैं? अगर बना पाए हैं तो कितना?
आंबेडकर पर अमित शाह के बयान के बाद विपक्ष अब बीजेपी और आरएसएस पर आंबेडकर के साथ ही स्वतंत्रता आंदोलन में इसकी भूमिका को लेकर सवाल खड़े कर रहा है। जानिए, आरएसएस की क्या भूमिका रही थी। शमसुल इस्लाम की दो साल पहले लिखी टिप्पणी...
आरएसएस ने लंबे वक्त तक तिरंगा क्यों नहीं फहराया। क्या बीजेपी और संघ के वैचारिक पुरखों का भारत के स्वाधीनता आंदोलन और राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे से जुड़ाव नहीं था?
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की जिस 1857 की क्रांति में नींव पड़ी थी, उसमें कई ऐसे वीर सपूत थे जिन्होंने अंग्रेज़ों से लोहा लिया था। ऐसे ही वीर सपूतों में से एक राजा सरजीत सिंह थे। जानिए, 1857 की क्रांति में उनके योगदान को।
आजादी के अमृत महोत्सव मना रहे पीआईबी की एक पाक्षिक पत्रिका 'न्यू इंडिया समाचार’ में चैतन्य महाप्रभु, स्वामी विवेकानंद और रमण महर्षि के बारे में ग़लत तथ्य कैसे प्रकाशित हो गए?