जिस तरह भारत-विभाजन की ऐतिहासिक विभीषिका इतिहास में अमिट है और जिसे कोई भुला या झुठला नहीं सकता, उसी तरह इस हकीकत को भी कोई नहीं नकार या नजरअंदाज कर सकता है कि मौजूदा सत्ताधीशों के वैचारिक पुरखों का भारत के स्वाधीनता संग्राम से कोई सरोकार नहीं था। यही नहीं, धर्म पर आधारित ‘दो राष्ट्र’ - हिंदू और मुसलमान का विचार भी सबसे पहले उन्होंने ही पेश किया था, जिसे बाद मुस्लिम लीग ने भी अपनाया और उसी के आधार पर उसने पाकिस्तान हासिल किया।