देश के एक सौ चालीस करोड़ नागरिकों की कल्पना का तिरंगा तो पीएम द्वारा किए गए आह्वान के काफ़ी पहले से पटना में सचिवालय के बाहर महान मूर्तिकार देवीप्रसाद राय चौधरी की अभिकल्पना का मूर्त रूप धारण किए सात युवा शहीदों की जीवनाकार कांस्य प्रतिमा में अंकित है। देशभक्ति के जज़्बे से रोमांचित कर देने वाली यह प्रतिमा उन सात युवा छात्रों के संकल्प का दर्शन कराती है जिन्हें ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के दौरान तिरंगा फहराने के प्रयास में 11 अगस्त 1942 को अंग्रेजों द्वारा निर्दयतापूर्वक गोलियों से भून दिया गया था। सात युवाओं में तीन कक्षा नौ में पढ़ाई करते थे। पच्चीस अन्य युवा गम्भीर रूप से घायल हो गए थे।
अमृत महोत्सव: देशभक्ति के प्रमाणपत्र की बार-बार माँग क्यों?
- विचार
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- 15 Aug, 2022

आज़ादी के 75 साल पूरे होने का देश भर में जश्न मन रहा है, लेकिन क्या इसके साथ ही आम लोगों की देशभक्ति की परीक्षा लेने की कोशिश की जा रही है?
तिरंगे की भारतीय कहानियाँ खून और आंसुओं से लिखी हुईं और देश भर में बिखरी पड़ी हैं। आज़ादी की लड़ाई के दौरान किए गए देशभक्ति के संघर्ष को इस समय राष्ट्रवाद के गोला-बारूद में ढाला जा रहा है। आज़ादी प्राप्ति के अमृतकाल को विभाजन की विभीषिका की पीड़ादायक स्मृतियों से रंगकर साम्प्रदायिक विद्वेष की होली मनाई जा रही है।