सत्तारूढ़ दल के दो (पूर्व) प्रवक्ताओं द्वारा की गई विवादास्पद टिप्पणियों से उठे तूफ़ान के बाद फ़िल्म अभिनेता नसीरूद्दीन शाह ने उम्मीद ज़ाहिर की है कि सद्बुद्धि प्राप्त होगी और नफ़रत की आँधी थमेगी। नसीर ने प्रधानमंत्री से भी अपील की कि वे हस्तक्षेप करके नफ़रत के ज़हर को फैलने से रोकें। ऐसी ही कई अपीलें नासिर के अलावा सैंकड़ों बुद्धिजीवियों, सेना के पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों, सेवा-निवृत्त आईएएस अफ़सरों आदि ने कोई छह माह पूर्व हरिद्वार में आयोजित हुई उस ‘धर्म संसद’ के बाद भी की थी जिसमें हिंदुओं से अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ शस्त्र धारण करने का आह्वान किया गया था। नसीर ने तब भय व्यक्त किया था कि: ’ये लोग (धर्म संसद के आयोजक) नहीं जानते कि वे क्या कह और कर रहे हैं! ये लोग खुले तौर पर गृह युद्ध को आमंत्रित कर रहे हैं।’ सड़कों पर जो कुछ भी इस समय दिखाई दे रहा है बताता है कि तमाम अपीलों का किसी पर कोई असर नहीं हुआ।