हमें समझाया जा रहा है कि आज़ादी हासिल करने के बाद से इंडिया या भारत के नाम से जिस भौगोलिक इकाई को राष्ट्र मानकर गर्व किया जा रहा था वह हक़ीक़त में ‘राष्ट्र’ था ही नहीं। वह तो तत्कालीन राजनीतिक व्यवस्थाओं के अंतर्गत संचालित होने वाला हाड़-मांस के लोगों का एक बड़ा समूह था। राष्ट्र-निर्माण तो अब हो रहा है। उसका विधिवत नामकरण कर उसे संस्कारित भी किया जा रहा है।
आधुनिक देश के अंदर प्राचीन राष्ट्र का निर्माण!
- विचार
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- 27 May, 2022

धर्म के आधार पर राष्ट्र के रूप में इतनी विशाल भौगोलिक इकाई के स्थापित होने की कल्पना मात्र से वे तमाम लोग उत्तेजित हैं जो धार्मिक रूप से बहुसंख्य हैं। जो अल्पसंख्यक हैं वे किसी अनहोनी की आशंका से डरे हुए हैं।
स्वाभाविक है कि ‘राष्ट्र’ के निर्माण की प्रक्रिया में एक सौ तीस करोड़ नागरिक उस संक्रमणकाल की पीड़ा से गुज़र रहे हैं जिसे अंग्रेज़ी में transition period कहा जाता है।
संक्रमणकाल शब्द का उपयोग साम्यवादी संदर्भों में ज़्यादा होता है। व्यवस्था में सर्वहारा की तानाशाही स्थापित होने के संदर्भ में। मतलब यह कि राज्य की व्यवस्था पूँजीवादी हो अथवा सर्वहारावादी, तानाशाही के ज़रिए ही संचालित होगी।