मोदी सरकार हाल ही महंगाई, ईडी की मनमानी के मुद्दे पर कांग्रेस के आंदोलन से डर गई। मात्र इस आंदोलन से डरने वाली सरकार कितनी मजबूत निकली, वो सामने आ गया। इसी से पता चलता है कि भारत में कोई भी राजनीतिक दल सत्ता में आने पर मनमानी तो कर सकता है लेकिन वो इस मजबूत लोकतंत्र को विलुप्त नहीं कर सकता।
पिछले आठ वर्षों में मोदी सरकार ने देश के लिए ऐसा क्या किया जो सदियों तक याद रखा जा सके? क्या उन्होंने समाज को जोड़ने वाला काम किया? लोकतंत्र को मज़बूत करने वाला काम किया?
पिछले सात-आठ वर्षों में देश में जातीय और सांप्रदायिक नफरत, तनाव और हिंसा की कैसी स्थिति है? क्या लोगों के बीच खाई और चौड़ी नहीं हुई है? आर्थिक हालात कैसे हैं और विदेश नीति का क्या हाल है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार के दूसरे कार्यकाल में मंत्रिपरिषद में बड़ा फेरबदल किया है। चेहरे तो बदल गए हैं, लेकिन क्या चाल-चरित्र भी बदलेगा?
मोदी कैबिनेट 2.0 का पहला विस्तार बुधवार शाम को होगा। माना जा रहा है कि यह विस्तार काफ़ी बड़ा होगा और 20 नए चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है जबकि कुछ मंत्रियों की छुट्टी भी हो सकती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने दूसरे कार्यकाल के दो वर्ष पूरे कर चुके हैं लेकिन इन दो सालों में वह अपने मंत्रिपरिषद को भी पूरी तरह आकार नहीं दे पाए हैं।
पिछले सप्ताह केंद्र में एनडीए सरकार के दूसरे कार्यकाल का पहला साल पूरा हुआ था। इस अवसर पर अनेक सार्वजनिक मंचों से इस अवधि के दौरान उपलब्धियों के लिए अपनी पीठ थपथपाई गई। क्या कोरोना संकट तक इंतज़ार नहीं किया जाना चाहिए था।
देश के गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस के ‘साठ साल पर मोदी के छह साल भारी’ कहकर पीठ थपथपाई है। मोदी सरकार के छह सालों का सफर देखें तो वह ‘अच्छे दिन के नारे से शुरू होकर आत्मनिर्भर बनने के नारे’ तक पहुँची है।
शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा है कि ठाकरे सरकार पूरी तरह स्थिर है और सरकार में शामिल तीनों ही दलों का एकजुट होना यह दिखाता है कि यह पूरे 5 साल तक चलेगी।