प्रधानमंत्री बारह जुलाई को पटना में थे। वे वहाँ बिहार विधानसभा के शताब्दी समारोह में भाग लेने पहुँचे थे। इस अवसर पर मोदी की मुलाक़ात तेजस्वी यादव से होनी ही थी। तेजस्वी के साथ संक्षिप्त बातचीत में पीएम ने राजद नेता को सलाह दे डाली कि उन्हें अपना वज़न कुछ कम करना चाहिए। तेजस्वी ने मोदी के चैलेंज को मंज़ूर कर लिया। एक महीने से भी कम वक्त में तेजस्वी ने न सिर्फ़ खुद का वज़न कम करके उसे नीतीश कुमार के साथ बाँट लिया, बिहार का राजनीतिक होमोग्लोबीन भी दुरुस्त कर दिया।
नीतीश के ‘तेजस्वी’ क्षण की आडवाणी को भी प्रतीक्षा होगी!
- विचार
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- 19 Aug, 2022

बिहार में नीतीश कुमार के तेजस्वी यादव के साथ आने से बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए क्या मुश्किलें खड़ी हो गई हैं? ऐसे में लाल कृष्ण आडवाणी को कैसे हालात का इंतज़ार होगा?
दो मत नहीं कि नीतीश ने तेजस्वी के साथ मिलकर मोदी के समक्ष 2024 में वापसी के लिए चुनौती खड़ी कर दी है। तेजस्वी के साथ मिलकर किए गए राजनीतिक विस्फोट के बाद जब पत्रकारों ने नीतीश से सवाल किया कि क्या वे 2024 में पीएम पद के उम्मीदवार हैं? बिहार के मुख्यमंत्री द्वारा शब्दों को तौलकर दिया गया जवाब था: ‘मैं किसी चीज़ की उम्मीदवारी की दावेदारी नहीं करता। केंद्र सरकार को 2024 के चुनाव में अपनी सम्भावना को लेकर चिंता करनी चाहिए।’