क्या किसी विपक्षी दल की सरकार का कोई मंत्री या देश का सामान्य नागरिक प्रधानमंत्री द्वारा किसी विषय पर विचार व्यक्त किए जाने को यह कहते हुए चुनौती दे सकता है कि ऐसा करने के लिए उनके पास अपेक्षित विशेषज्ञता या शैक्षणिक डिग्रियाँ नहीं हैं? क्या सर्वोच्च अदालत को उन विषयों पर राय देने का अधिकार नहीं है जिनका लिखित उल्लेख संविधान में नहीं है या जो केवल विधायिका के ही अधिकार क्षेत्र में आते हैं?