मौजूदा प्रधान-मंत्री मोदी ने जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे विश्व की एक नामी समाचार एजेंसी राइटर्स से 12 जुलाई 2013 को एक साक्षात्कार में ख़ुद को हिन्दू राष्ट्रवादी बताया था। उन्होंने यह सच भी साझा किया था कि उन्होंने हिन्दू राष्ट्रवाद के सबक़ आरएसएस में रहकर सीखे और उनको राजनैतिक नेता के तौर पर गढ़ने में आरएसएस के दूसरे सरसंघचालक गोलवलकर की सबसे बड़ी भूमिका थी।
स्वतंत्रता आंदोलन व तिरंगे को लेकर संघ करता रहा था विरोध!
- विचार
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- 15 Aug, 2022

आरएसएस ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हर उस चीज का विरोध किया जो ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ भारतीय जनता के एकताबद्ध संघर्ष का प्रतीक थी। इसे समझने के लिए तिरंगा, राष्ट्रीय-ध्वज, एक सही मामला है।
आरएसएस ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हर उस चीज से का विरोध किया जो ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ भारतीय जनता के एकताबद्ध संघर्ष का प्रतीक थी। इसे समझने के लिए तिरंगा, राष्ट्रीय-ध्वज, एक सही मामला है। दिसंबर 1929 में कांग्रेस ने अपने लाहौर अधिवेशन में पूर्ण-स्वराज का राष्ट्रीय लक्ष्य निर्धारित कर दिया और जनता से अपील की कि 26 जनवरी,1930 को तिरंगा फहरा कर उसका सम्मान करते हुए स्वतंत्रता दिवस मनायें और ऐसा हर साल करें। तब तक तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज मानने पर आम सहमति हो गयी थी। उस समय तिरंगे के बीच में चरखा होता था। इसकी खुली अवहेलना करते हुए सरसंघचालक डा. हेडगेवार ने आरएसएस की सभी शाखा संचालकों के नाम 21 जनवरी 1930 को एक परिपत्र जारी किया जिस में आदेश दिया गया था कि:
“आरएसएस की तमाम शाखायें सब स्वयंसेवकों की संघस्थान पर 26 जनवरी 1930 शाम को सभा करें और हमारे राष्ट्रीय-ध्वज अर्थात भगवे झंडे को सलामी दें।”
[NH PALKAR (ed.), डॉ हेडगेवार पत्र-रूप व्यक्ति दर्शन (हेडगेवार के पत्रों का संकलन), अर्चना प्रकाशन इंदौर, 1989, प्रष्ठ 18]