त्रिशंकु प्राचीन भारतीय पुराणों के हीरो हैं। कथा के अनुसार जब राजा त्रिशंकु को सशरीर स्वर्ग जाने की इच्छा हुई तो ऋषि विश्वामित्र ने उन्हें तपोबल से ऊपर भेज दिया। परन्तु स्वर्ग के राजा इंद्र ने उन्हें वापस यह कहकर नीचे ठेल दिया कि स्वर्ग में सशरीर प्रवेश वर्जित है। ऋषि विश्वामित्र को इंद्र के इस दुस्साहस पर क्रोध आ गया और उन्होंने त्रिशंकु को वापस पृथ्वी पर गिरने नहीं दिया। अंततोगत्वा इंद्र और विश्वामित्र के बीच समझौता हुआ जिसके तहत त्रिशंकु स्वर्ग की रचना हुई जिसमें व्यक्ति जमीं से ऊपर उठ तो जाता है पर आसमां को छूने की मनाही है।
अमृत महोत्सव: भारत @75 = त्रिशंकु?
- विचार
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- 31 Sep, 2022

भारत आज़ादी के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रहा है। भारत ने इन सालों में आख़िर लोकतांत्रिक पद्धति के पैमाने पर क्या पाया?
1940 के दशक में द्वितीय विश्व युद्ध एवं साम्राज़्यवाद के अंत के साथ ही भारत समेत दुनिया भर के कई देश आजाद हो गए। नव स्वतन्त्र देशों ने अलग-अलग व्यवस्थाएँ अपनाईं। अधिकतर पाश्चात्य देशों ने लोकतंत्र अपनाया, तो अफ्रीकी देश, चीन आदि ने साम्यवाद या अधिनायकवाद अपनाया। भारत ने भी लोकतंत्र अपनाया। लोकतंत्र दो प्रकार का होता है- लोकतांत्रिक जीवन पद्धति या लोकतांत्रिक शासन पद्धति।