प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इतिहास संबंधी 'ज्ञान’ से तो देश ही नहीं, पूरी दुनिया अच्छी तरह वाकिफ है। कभी वे सिकंदर को बिहार तक ले आते हैं तो कभी तक्षशिला को बिहार में बसा देते हैं और कभी मौर्य वंश के संस्थापक चंद्रगुप्त के गुप्त वंश का संस्थापक बता देते हैं। कभी वे 700 साल पुराने कोणार्क के सूर्य मंदिर को 2000 साल पुराना बता देते हैं तो कभी कबीर, नानक और गोरखनाथ को मगहर में एक साथ बैठा देते हैं। देश को यह जानकारी भी उनसे ही मिलती है कि आजादी के वक्त डॉलर और रुपए की कीमत बराबर थी। इस तरह की इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र, विज्ञान आदि से संबंधित भी कई अजीबोगरीब जानकारियों से वे देश-दुनिया को अवगत कराते रहते हैं। अब आजादी के इतिहास संबंधी ऐसी ही अद्भूत जानकारी भारत सरकार के पत्र सूचना कार्यालय यानी प्रेस इन्फार्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) ने भी दी है।
आज़ादी के अमृत महोत्सव वर्ष में इस तरह बनाया जा रहा है इतिहास का भुर्ता!
- विचार
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- 14 Jan, 2022

आजादी के अमृत महोत्सव मना रहे पीआईबी की एक पाक्षिक पत्रिका 'न्यू इंडिया समाचार’ में चैतन्य महाप्रभु, स्वामी विवेकानंद और रमण महर्षि के बारे में ग़लत तथ्य कैसे प्रकाशित हो गए?
भारत सरकार इन दिनों देश की आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है। इस साल 15 अगस्त को देश की आजादी के 75 साल पूरे होने जा रहे हैं। इस निमित्त सरकार के स्तर पर तरह-तरह के कार्यक्रम हो रहे हैं। इस मौके पर केंद्र सरकार के विभिन्न प्रचार माध्यम भी अपने-अपने स्तर पर आजादी के आंदोलन से संबंधित तरह-तरह की विशेष सामग्री का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। इसी सिलसिले में पीआईबी ने हाल ही में अपनी पाक्षिक पत्रिका में 1857 की क्रांति के बारे में जो जानकारियाँ दी हैं, वे हैरान करने वाली हैं।