तालिबान ने 15 अगस्त को दहशत फैलाकर काबुल पर क़ब्ज़ा जमाया, चुनी हुई सरकार खत्म हो गई। महिलाओं पर तालिबान जुल्म बढ़ता ही जा रहा है। जब अफ़ग़ानों का ही तालिबान पर भरोसा नहीं तो दुनिया कैसे करेगी?
अफ़ग़ानिस्तान में सरकार गठन का नया फॉर्मूला आया है। क्या पाकिस्तान ने यह नया फॉर्मूला दिया? अब रिपोर्ट है कि बेहद कम चर्चित नेता मुल्ला हसन अखुंद को अफ़ग़ानिस्तान का प्रधानमंत्री बनाया जा सकता है।
एक रिपोर्ट के अनुसार तालिबान के सह संस्थापक मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर सहयोगी हक्कानी नेटवर्क के साथ संघर्ष में घायल हो गए। क्या इसी विवाद को निपटाने पाकिस्तान की ख़ुफिया एजेंसी के प्रमुख फैज़ हमीद शनिवार को अचानक काबुल पहुँचे?
रिपोर्ट है कि अफ़ग़ानिस्तान में एक गर्भवती महिला पुलिसकर्मी तालिबान ने गोली मारकर हत्या कर दी है। जानिए महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करेंगे और एक समावेशी सरकार बनाने का दावा करने वाले तालिबान ने क्या दी सफ़ाई।
पंजशिर घाटी में समझौते के धार्मिक विद्वानों के प्रस्ताव का रेजिस्टेंस फ्रंट के नेता अहमद मसूद ने स्वागत किया है। तो क्या अब तालिबान और रेजिस्टेंस फ्रंट के बीच युद्ध ख़त्म हो जाएगा?
पंजशिर घाटी में कथित कब्जे के जश्न में तालिबानी लड़ाकों द्वारा काबुल में की गई हवाई फ़ायरिंग में बच्चे सहित कई लोगों के मारे जाने की ख़बर है। हालाँकि रेजिस्टेंस फोर्सेस ने पंजशिर घाटी में तालिबान के कब्जे के दावों को खारिज किया है।
तालिबान ने दावा किया है कि शुक्रवार को उसने पंजशिर भी कब्जा कर लिया है और इसके साथ पूरा अफ़ग़ानिस्तान उसके नियंत्रण में है। रेजिस्टेंस फोर्सेस की ओर से अमरूल्लाह सालेह ने तालिबान के कब्जे के दावों को खारिज किया है।
तालिबान ने दो दिन पहले ही कहा था कि कुछ दिनों में सरकार गठित हो जाएगी और इसके सुप्रीम कमांडर हैबतुल्लाह अखुंदज़ादा अफ़ग़ानिस्तान सरकार का नेतृत्व करेंगे। संभव है कि उनके अधीन प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति काम करें।
अमेरिकी फौजें तो वापस लौट गईं और तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान में सत्ता पर कब्जा भी कर लिया, लेकिन बिना पैसे के वह देश को चलाएगा कैसे? कमाई का ज़रिया क्या होगा और अर्थव्यवस्था कैसे चलाएगा?
रिपोर्ट है कि तालिबान और अफ़ग़ान नेताओं के बीच अफ़ग़ान सरकार पर सहमति बन गई है। जानिए तालिबान के सुप्रीम कमांडर हैबतुल्लाह अखुंदज़ादा की क्या भूमिका होगी और सरकार में कौन-कौन शामिल होंगे।
अमेरिकी वापसी के बाद भी अफ़ग़ानिस्तान में शांति की उम्मीद कम क्यों दिखाई देती है? कई गुटों में भिड़ंत की आशंका है। हथियारों का जो ज़खीरा अमेरिकी अपने पीछे छोड़ गए हैं, वह कई नए हिंसक गुट पैदा कर देगा।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप जैसे नेताओं की आलोचनाओं के बाद मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन ने अफ़ग़ानिस्तान से अमेरिकी फौज़ों की वापसी के अपने फ़ैसले की खुद से ही जमकर तारीफ़ की है। जानिए उन्होंने क्या-क्या कहा...
तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान पर तो कब्जा कर लिया, लेकिन क्या अब उनकी आगे की राह आसान है? वे भूखमरी, ग़रीबी, आर्थिक संकट जैसी चुनौतियों का सामने कैसे करेंगे?