अमेरिका ने रविवार को जिस ड्रोन हमले से इसलामिक स्टेट खुरासान को निशाना बनाए जाने का दावा किया था, उसमें एक ही परिवार के 10 लोगों के मारे जाने की ख़बर है। उनमें 7 बच्चे शामिल हैं। मृतकों में अमेरिकी चैरिटी संगठन और अमेरिकी सेना के साथ एक कॉन्ट्रैक्टर के तौर पर काम करने वाला एक व्यक्ति भी शामिल है।
रविवार को काबुल में अमेरिकी सैन्य ड्रोन हमले के कुछ घंटों बाद रक्षा विभाग के अधिकारियों ने कहा था कि उसने विस्फोटकों से लदे एक वाहन को उड़ा दिया। उसने यह भी कहा था कि इससे इसलामिक स्टेट खुरासान समूह से काबुल हवाई अड्डे के लिए ख़तरा टल गया है। अमेरिका ने ड्रोन का इस्तेमाल तब शुरू किया जब कुछ दिन पहले ही काबुल एयरपोर्ट पर आत्मघाती हमले में कम से कम 170 लोगों की मौत हो गई थी। इसमें 13 अमेरिकी सैनिक भी शामिल थे। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि वह हमलावरों से बदला लेंगे और इसके अगले दिन ड्रोन हमले में दो आतंकियों को मार गिराने का दावा किया गया था। काबुल में और ऐसे हमले की चेतावनी दी गई और फिर रविवार को काबुल में ही अमेरिकी सैन्य ड्रोन का फिर से इस्तेमाल हुआ।
रविवार को जो लोग ड्रोन हमले में मारे गए उनके परिवार वालों के हवाले से दावा किया गया है कि वे अफ़ग़ानिस्तान के आम नागरिक थे। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार मारे गए लोगों के रिश्तेदारों और सहकर्मियों के साक्षात्कार के अनुसार, जेमारी अहमदी चैरिटी संगठन न्यूट्रिशन एंड एजुकेशन इंटरनेशनल के लिए काम करते थे और वह रविवार शाम को सहकर्मियों को छोड़ने के बाद घर जा रहे थे। वह अपने तीन भाइयों और उनके परिवारों के साथ रहते थे। जैसे ही वह अपने घर के पास संकरी गली में पहुँचे बच्चे उनकी सफेद टोयोटा कोरोला को देखकर उनका अभिवादन करने के लिए बाहर भागे। कुछ तो गली में ही कार में सवार हो गए, अन्य उनके घर के आंगन में कार के पास इकट्ठा हो गए।
रिपोर्ट के अनुसार, परिवार वाले कहते हैं कि यही वह वक़्त था जब ड्रोन ने हमला किया। कार के दरवाजे उड़ गए, और उसकी खिड़कियाँ चकनाचूर हो गईं। अहमदी और कुछ बच्चे उनकी कार के अंदर मारे गए। परिवार के सदस्यों ने कहा कि अन्य लोग बगल के कमरों में थे और वे गंभीर रूप से घायल हो गए।
हालाँकि, इसी के साथ 'द न्यूयॉर्क टाइम्स' ने यह भी लिखा है कि इसके लिए घटनास्थल पर मौजूद पत्रकार परिवार के दावे को स्वतंत्र रूप से सत्यापित करने में असमर्थ थे। लेकिन अख़बार ने रिपोर्ट में अहमदी की 21 वर्षीय बेटी सामिया का बयान छापा है। ड्रोन हमले के समय वह घर के अंदर थीं। उन्होंने कहा, 'पहले तो मुझे लगा कि यह तालिबान है, लेकिन अमेरिकियों ने खुद ऐसा किया।'
अहमदी पासाडेना स्थित एक अमेरिकी गैर-लाभकारी संस्था न्यूट्रीशन एंड एजुकेशन इंटरनेशनल के स्थानीय कार्यालय के लिए एक तकनीकी इंजीनियर थे।
उनके पड़ोसियों और रिश्तेदारों ने जोर देकर कहा कि इंजीनियर और उनके परिवार के सदस्यों में से कई ने अफ़ग़ान सुरक्षा बलों के लिए काम किया था, और उनका किसी भी आतंकवादी समूह से कोई संबंध नहीं था। उन्होंने अमेरिकी चैरिटी के साथ लंबे समय तक उनके काम करने से संबंधित दस्तावेज दिखाए।
रिपोर्ट के अनुसार, न्यूट्रीशन एंड एजुकेशन इंटरनेशनल के अध्यक्ष स्टीवन क्वोन ने एक ईमेल में अहमदी के बारे में कहा, 'उनके सहयोगियों द्वारा उनका बहुत सम्मान किया जाता था और ग़रीबों व ज़रूरतमंदों के प्रति वह दयालु थे।' उन्होंने लिखा कि अहमदी ने अभी हाल ही में 'काबुल में स्थानीय शरणार्थी शिविरों में भूखी महिलाओं और बच्चों के लिए सोया आधारित भोजन तैयार किया और वितरित किया था।'
ड्रोन हमले में अफ़ग़ान नागरिकों के मारे जाने की रिपोर्टों पर पेंटागन ने भी इस संभावना को स्वीकार किया कि ड्रोन हमले में अफ़ग़ान नागरिक मारे गए थे। लेकिन इसके साथ ही यह भी कहा कि किसी भी नागरिक की मौत वाहन में विस्फोटकों के विस्फोट से हुई थी जिसे निशाना बनाया गया था। अमेरिकी सेंट्रल कमान के एक प्रवक्ता ने रविवार को कहा कि अमेरिकी सेना ने हवाई अड्डे पर हमला करने की योजना बना रहे इस्लामिक स्टेट खुरासान के वाहन के ख़िलाफ़ ड्रोन हमला किया था। सोमवार को प्रवक्ता कैप्टन बिल अर्बन ने पहले के एक बयान की पुष्टि की कि सेना ने एक वैध लक्ष्य, विस्फोटक से भरे एक वाहन पर हमला किया।
पेंटागन के मुख्य प्रवक्ता जॉन एफ किर्बी ने सोमवार को नागरिकों के हताहत होने की रिपोर्ट के बारे में कहा, 'हम इस पर विवाद करने की स्थिति में नहीं हैं।' उन्होंने पेंटागन के पहले बयानों को दोहराया कि सेना हामिद क़रजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से दो मील की दूरी पर एक वाहन पर हमले की जांच कर रही थी।
बता दें कि अफ़ग़ानिस्तान से आख़िरी अमेरिकी सैनिक भी सोमवार देर रात अपने देश लौट गए। 20 साल तक अमेरिका अफ़ग़ानिस्तान में संघर्ष करता रहा। अमेरिका ने जिस तालिबान को सत्ता से हटाया था आख़िरकार उसी तालिबान से वार्ता की। बातचीत के बाद जैसे-जैसे अमेरिकी सैनिक अपने देश लौटते रहे वैसे-वैसे तालिबान अफ़ग़ानिस्तान पर कब्जा जमाता गया। अब कट्टरपंथी इस्लामी तालिबान सत्ता में आ चुका है। आख़िरी अमेरिकी सैनिकों के लौटने के बाद काबुल में मंगलवार तड़के जश्न में गन फ़ायरिंक की आवाज़ें सुनी गईं और तालिबान ने इस घटना को एक महत्वपूर्ण क्षण के रूप में देखा।
अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की वापसी बड़े उथल-पुथल के दौर में हुआ। हज़ारों अफ़ग़ान नागरिक भी देश छोड़कर निकलना चाहते थे लेकिन वे नहीं निकल पाए। इनमें से अधिकतर वे अफ़ग़ान हैं जिन्होंने उन देशों की मदद की थी और अब उन पर तालिबान के ख़तरे का अंदेशा है।
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