कल तक बड़े गर्व से कहा जाता था कि जब यूरोप में अंधकार युग चल रहा था तो भारत में ऋषि वात्स्यायन कामसूत्र लिख रहे थे। ऐतिहासिक कालक्रम को देखते हुए यह बात सच भी है, लेकिन 'गर्व से कहो हम हिंदू हैं' का नारा लगाने वाले आरएसएस के आनुषंगिक संगठन बजरंग दल ने अहमदाबाद की एक दुकान में रखी कामसूत्र को धर्मविरोधी बताते हुए जला डाला। उन्होंने दावा किया कि इसमें हिंदू देवी-देवताओं के अश्लील चित्र हैं।
जिन्हें हिंद पर नाज़ है वो कहाँ हैं
- विचार
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- 31 Aug, 2021

भारत ने आज़ादी के बाद अमेरिका और रूस से टक्कर लेने की सोची थी। अब प्रचार ये है कि भारत, अफ़ग़ानिस्तान से बेहतर है। सत्तर साल की तमाम उपलब्धियों को नकारने का अभियान हमें बारूदी गंध में डूबे 'अफ़ग़ानिस्तान से बेहतर होने' पर गर्व करने का पाठ पढ़ा रहा है।
निश्चचित रूप से तमाम दक्षिणपंथी विचारकों के लिए भी यह माथा पीटने का समय है, क्योंकि कामसूत्र के बाद ये उत्साही बजरंग दली खुजराहो के मंदिर भी ध्वस्त करने निकल पड़ें तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। जब धर्म का मतलब तोड़ना, फोड़ना, जलाना हो जाये तो कोई भी लंपट ख़ुशी-ख़ुशी धार्मिक होना चाहेगा।