अलविदा अरुण भाई!सुबह से फ़ेसबुक पर शोक की एक नदी बह रही है जिसके हर क़तरे पर एक नाम है- अरुण पांडेय। यह नदी कई-कई शहरों से गुज़रती हुई विलाप को गहराती जा रही है। यह विलाप उनका भी है जो अरुण भाई से दस-पंद्रह साल बड़े थे या फिर इतने ही छोटे। किसी को यक़ीन नहीं हो रहा है कि हर मुश्किल को आसान बनाने वाले अरुण भाई, इस तरह हार जायेंगे।