भगत सिंह के वैचारिक नेतृत्व से गठित हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक एसोसिएशन के सदस्य रहे शिव वर्मा वह आख़िरी क्रांतिकारी थे जो कालापानी से ज़िंदा वापस आये थे। उन्होंने क्रांतिकारियों के बारे में तमाम प्रामाणिक संस्मरण लिखे हैं जिनसे पता चलता है कि भगत सिंह अंतत: बुलेट नहीं, बुलेटिन यानी क्रांतिकारी विचारों को जनता के बीच ले जाने को क्रांति के लिए सबसे ज़रूरी चीज़ मानने लगे थे।