अनादि काल से ही मानव समाज में तीन प्रवृत्ति के लोग रहते हैं। सभ्य, असभ्य और बर्बर। भारतीय पौराणिक कथाओं में भी देव, मानव और दानवों का अस्तित्व वर्णित है। बर्बर जमात असीम हिंसा पर विश्वास करती है, सभ्य समाज सीमा से अधिक व्यवस्थित होता है तथा बीच में खड़े सज्जन लोग न तो किसी व्यवस्था के अंग ही होते हैं, न ही वे स्वयं हिंसक -अतः वहां अव्यवस्था (असभ्यता) का बोलबाला होता है।