अनादि काल से ही मानव समाज में तीन प्रवृत्ति के लोग रहते हैं। सभ्य, असभ्य और बर्बर। भारतीय पौराणिक कथाओं में भी देव, मानव और दानवों का अस्तित्व वर्णित है। बर्बर जमात असीम हिंसा पर विश्वास करती है, सभ्य समाज सीमा से अधिक व्यवस्थित होता है तथा बीच में खड़े सज्जन लोग न तो किसी व्यवस्था के अंग ही होते हैं, न ही वे स्वयं हिंसक -अतः वहां अव्यवस्था (असभ्यता) का बोलबाला होता है।
तालिबान को किस नज़रिये से देखे मोदी सरकार?
- विचार
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- 1 Sep, 2021

अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद अब आधिकारिक तौर पर सत्ता में तालिबान ही है। चीन, रूस जैसे देशों के अलावा पश्चिमी देश भी तालिबान को कट्टर इसलामिक पद्धति मानकर आगे बढ़ रहे हैं। भारत को क्या रुख अपनाना चाहिए?
सभ्य समाज में लोगों के अधीन शासन होता है, असभ्य समाज में शासन के अधीन लोग होते हैं, तथा बर्बर समाज में जिसकी लाठी उसी की भैंस होती है।
वर्तमान विश्व में भी यदि देखें तो अधिकांश पश्चिमी देशों में लोगों के अधीन शासन है, अधिकांश विकासशील एवं धर्म प्रधान राष्ट्रों में शासन के अधीन लोग हैं, और उत्तर कोरिया तथा कई अफ्रीकी एवं अविकसित देशों में बर्बरता का बोलबाला है।