इसलामी शरीया क़ानून वैसे तो सऊदी अरब सहित दुनिया के और भी अनेक देशों में लागू है। ऐसे लगभग सभी देशों से भारत व दुनिया के अन्य देशों के बेहतर रिश्ते हैं। यहाँ तक कि उनसे व्यावसायिक रिश्ते भी हैं। उन देशों के धर्म व शरीया क़ानूनों की स्वीकार्यता के चलते दुनिया ऐसे किसी देश पर न तो कोई आपत्ति जताती है और न ही उनके आपसी संबंधों पर कोई फ़र्क़ पड़ता है।
तालिबान पर दुनिया भरोसा कैसे करे?
- दुनिया
- |
- |
- 21 Sep, 2021

तालिबान ने 15 अगस्त को दहशत फैलाकर काबुल पर क़ब्ज़ा जमाया, चुनी हुई सरकार खत्म हो गई। महिलाओं पर तालिबान जुल्म बढ़ता ही जा रहा है। जब अफ़ग़ानों का ही तालिबान पर भरोसा नहीं तो दुनिया कैसे करेगी?
परन्तु तालिबान, उनकी तर्ज़-ए-सियासत, उनके द्वारा इसलामी शरीया क़ानूनों का हिमायती बनने का ढोंग और शरीया के ही नाम पर दर्शाई जा रही क्रूरता, इसलाम के नाम पर दुनिया के मुसलिम देशों से समर्थन जुटाए जाने के लिये अपनाया जाने वाला दोहरापन, अफ़ग़ानिस्तान में ही महिलाओं सहित एक बड़े शांतिप्रिय व प्रगतिशील वर्ग द्वारा किया जा रहा उनका विरोध और यहाँ तक कि स्वयं कट्टरपंथी तालिबानी सर्वोच्च नेताओं के मध्य सत्ता की खींच तान को लेकर काबुल के राष्ट्रपति भवन में कथित तौर पर हुई मार-पीट तथा उनसे सहमति न रखने वालों, महिलाओं व पत्रकारों पर ढाए जाने वाले ज़ुल्म इस बात के पुख़्ता सुबूत हैं कि उपद्रवी, अतिवादी, पूर्वाग्रही तथा कट्टरपंथी सोच रखने वाले ये लोग कम से कम अफ़ग़ानिस्तान पर शासन करने योग्य तो हरगिज़ नहीं हैं।