दुनिया भर के मानवाधिकार संगठन अफ़ग़ानिस्तान में आर्थिक संकट के कारण गंभीर मानवीय संकट की चेतावनी दे रहे हैं। समझा जाता है कि सरकार गठन में जितनी ज़्यादा देरी होगी वह संकट और बढ़ता जाएगा। यह संकट व्यक्तिगत आज़ादी और अधिकार का ही नहीं होगा, बल्कि करोड़ों लोगों के भूखे रहने का संकट होगा। यह कुपोषण का संकट होगा और सरकार की आर्थिक बदहाली का संकट होगा। तो क्या सरकार गठन के बाद यह संकट ख़त्म हो जाएगा? क्या दुनिया भर की सरकारें इसको मान्यता दे देंगी, आर्थिक सहायता देंगी और सरकार सामान्य कामकाज करने लगेगी? यह इतना आसान भी नहीं लगता है।
सरकार गठित कर भी ले तो आर्थिक संकट से कैसे निपटेंगे तालिबान?
- दुनिया
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- 3 Sep, 2021
अमेरिकी फौजें तो वापस लौट गईं और तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान में सत्ता पर कब्जा भी कर लिया, लेकिन बिना पैसे के वह देश को चलाएगा कैसे? कमाई का ज़रिया क्या होगा और अर्थव्यवस्था कैसे चलाएगा?

हालाँकि सरकार गठन के बाद एक प्रक्रिया शुरू हो जाएगी और आर्थिक गतिविधियों के लिए कुछ हलचल होगी। मौजूदा हालात ये हैं कि तालिबान द्वारा 15 अगस्त को काबुल पर भी कब्जा किए जाने के बाद से दो हफ़्तों में देश की आर्थिक हालत ख़राब होती गई है। तालिबान को पैसे की सख़्त ज़रूरत है। अफ़ग़ान सरकार के 9.5 बिलियन डॉलर के जो रिजर्व भी अमेरिकी बैंकों में पड़े हैं उसको अमेरिका ने फ्रीज कर दिया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी अफ़ग़ानिस्तान को आपातकालीन निधि तक पहुँचने से रोक दिया है।