दुनिया भर के मानवाधिकार संगठन अफ़ग़ानिस्तान में आर्थिक संकट के कारण गंभीर मानवीय संकट की चेतावनी दे रहे हैं। समझा जाता है कि सरकार गठन में जितनी ज़्यादा देरी होगी वह संकट और बढ़ता जाएगा। यह संकट व्यक्तिगत आज़ादी और अधिकार का ही नहीं होगा, बल्कि करोड़ों लोगों के भूखे रहने का संकट होगा। यह कुपोषण का संकट होगा और सरकार की आर्थिक बदहाली का संकट होगा। तो क्या सरकार गठन के बाद यह संकट ख़त्म हो जाएगा? क्या दुनिया भर की सरकारें इसको मान्यता दे देंगी, आर्थिक सहायता देंगी और सरकार सामान्य कामकाज करने लगेगी? यह इतना आसान भी नहीं लगता है।