अफ़ग़ानिस्तान में सरकार गठन की तैयारियों के बीच अब तालिबान ने दावा किया है कि पंजशिर भी अब उसके नियंत्रण में है। मीडिया रिपोर्टों में तालिबान के कम से कम तीन सूत्रों ने इसका दावा किया है। उनके दावों के अनुसार इसके साथ ही पूरा अफ़ग़ानिस्तान अब तालिबान के नियंत्रण में हो गया है। हालाँकि, इन रिपोर्टों को स्वतंत्र रूप से पुष्ट नहीं किया जा सका है। रेजिस्टेंस फोर्सेस ने तालिबान के कब्जे के दावों को खारिज किया है। पंजशिर ही वह क्षेत्र है जहां से तालिबान को कड़ी चुनौती मिलती रही है। पंजशिर में रेजिस्टेंस फोर्सेस के नेता अहमद मसूद और अमरूल्लाह सालेह ने एलान किया था कि पंजशिर पर किसी का कब्जा नहीं होने दिया जाएगा। ख़ुद के पंजशिर छोड़कर भागने की ख़बर को अमरूल्लाह सालेह ने झूठा क़रार दिया है और उन्होंने कहा है कि वह पंजशिर में ही हैं और तालिबान को चुनौती दे रहे हैं।
पंजशिर से तालिबान को चुनौती देते रहने वाले अहमद मसूद, अहमद शाह मसूद के बेटे हैं। अहमद शाह मसूद तालिबान के ख़िलाफ़ बनी मिलिशिया के नेता थे। वह 1980 के दशक में अफ़ग़ानिस्तान के सोवियत विरोधी प्रतिरोधी समूह के प्रमुख नेताओं में से एक थे। अहमद शाह मसूद ने ही तालिबान के ख़िलाफ़ नॉर्दन एलायंस बनाया था। 11 सितंबर 2001 के हमले से दो दिन पहले ही अल क़ायदा ने अहमद शाह मसूद की हत्या कर दी थी। इसके बाद अहमद मसूद ने मिलिशिया की कमान संभाली।
अहमद मसूद के साथ ही अमरूल्लाह सालेह भी हैं जो तालिबान को चुनौती दे रहे हैं। पूर्व उप राष्ट्रपति अमरूल्लाह सालेह ने पहले एलान किया था कि पंजशिर पर किसी का कब्जा नहीं होने दिया जाएगा। इस प्रांत में ताजिक समुदाय के लोग बड़ी संख्या में रहते हैं। सालेह भी इसी समुदाय से आते हैं।
लेकिन इसी बीच अब तालिबान के दावे हैं कि उसने क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है। रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, एक तालिबान कमांडर ने कहा, 'अल्लाह की कृपा से हमने पूरे अफ़ग़ानिस्तान पर नियंत्रण कर लिया है। चुनौती देने वालों को हरा दिया गया है और पंजशीर अब हमारे अधीन है।' रिपोर्ट के अनुसार ऐसे कम से कम तीन सूत्रों ने पंजशिर में तालिबान के कब्जे के दावे किए।
तालिबान के इन दावों के आने के तुरत बाद ही अमरूल्लाह सालेह ने टेलीविजन चैनल टोलो न्यूज़ को बताया कि उनके देश छोड़कर भाग जाने की ख़बरें झूठ हैं।
बीबीसी वर्ल्ड के पत्रकार द्वारा ट्विटर पर पोस्ट की गई एक वीडियो क्लिप में सालेह ने कहा, 'इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम एक मुश्किल स्थिति में हैं। हम पर तालिबान का आक्रमण हुआ है ... लेकिन हम ज़मीन पर डटे हुए हैं, हमने विरोध किया है।'
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उन्होंने यह भी ट्वीट किया, 'रेजिस्टेंस जारी है और जारी रहेगा। मैं यहाँ अपनी मिट्टी के साथ, अपनी मिट्टी के लिए और इसकी गरिमा की रक्षा के लिए हूँ।' उनके बेटे इबादुल्ला सालेह ने इस बात से इनकार किया कि पंजशीर तालिबान के कब्जे में हैं, 'नहीं, यह झूठा है।'
बता दें कि पंजशीर में भारी लड़ाई और हताहत होने की ख़बरें आई थीं। तालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर कब्जा कर लिया है। अब वे अफ़ग़ानिस्तान में सरकार बना रहे हैं। सत्ता की कमान मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर के हाथ में होने की ख़बरें आई हैं। तालिबान के जो चार बड़े नेता हैं, उनमें मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर का दूसरा नंबर है। जबकि पहले नंबर पर तालिबान के प्रमुख मुल्ला हैबतुल्लाह अखुंदज़ादा हैं।
मुल्ला अब्दुल ग़नी बरादर तालिबान की राजनीतिक शाखा के प्रमुख हैं। तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला मोहम्मद याक़ूब और तालिबानी नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्तेनकज़ई भी सरकार में अहम पदों पर होंगे।
भले ही सरकार की कमान मुल्ला बरादर के हाथों में आई हो लेकिन तालिबान और इसकी सरकार में कामकाज हैबतुल्लाह अखुंदज़ादा की मर्जी से ही चलेगा। अखुंदज़ादा इसलामी क़ानून के विद्वान हैं। कहा जाता है कि उनमें तालिबान के अलग-अलग गुटों के बीच एक कड़ी के रूप में काम करने की काबिलियत है।
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