कृष्ण यानी हज़ारों वर्षों से व्यक्त-अव्यक्त रूप में भारतीय जनमानस में गहरे तक रचा-बसा एक कालजयी चरित्र, एक धीरोदात्त नायक, एक लीला-पुरुष, एक महान तत्वशास्त्री, एक आदर्श प्रेमी और सखा, एक महान विद्रोही, एक युगंधर… युगपुरुष।
भगवान श्रीकृष्ण जिन्होंने ‘व्यवस्था’ को चुनौती दी, जुल्मी शासन का अंत किया
- विविध
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- 12 Aug, 2020

कृष्ण यानी हज़ारों वर्षों से व्यक्त-अव्यक्त रूप में भारतीय जनमानस में गहरे तक रचा-बसा एक कालजयी चरित्र, एक धीरोदात्त नायक, एक लीला-पुरुष, एक महान तत्वशास्त्री, एक आदर्श प्रेमी और सखा, एक महान विद्रोही, एक युगंधर… युगपुरुष।
हर समाज, देश और युग में कोई न कोई अवतार या महानायक हुआ है जिसने अन्याय और अत्याचार के तत्कालीन यथार्थ से जूझते हुए स्थापित व्यवस्था को चुनौती दी है और सामाजिक न्याय की स्थापना के प्रयास करते हुए न सिर्फ़ अपने समकालीन समाज को बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी गहरे तक प्रभावित किया है। भारत के संदर्भ में राम और कृष्ण ऐसे ही दो नाम हैं। विगत लगभग दो हज़ार वर्षों में इन दो अवतार पुरुषों ने भारतीय साहित्य और समाज को जितना प्रभावित किया है उतना शायद ही किसी अन्य कथा-नायक या अवतार पुरुष ने किया हो। राम और कृष्ण दोनों को ही विष्णु का अवतार माना गया है। राम अंशावतार माने गए हैं, जबकि कृष्ण को पूर्णावतार माना गया है। कृष्ण के चरित्र में सभी कलाओं का पूर्ण विकास हुआ है और राम के मुक़ाबले उनका व्यक्तित्व भी काफ़ी जटिल है। धर्म की रक्षा और विजय के लिए बड़े से बड़ा 'अधर्म' करने को तत्पर रहने के प्रतीक हैं कृष्ण।