त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के लिए कल गुरुवार को वोट डाले जाएंगे। त्रिपुरा चुनाव जीतने के लिए बीजेपी ने प्रधानमंत्री से लेकर छुटभैये नेताओं को प्रचार में जिस तरह उतारा, उससे इस राज्य के चुनाव की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है। त्रिपुरा में पीएम मोदी के नाम पर वोट मांगे गए हैं। वोटों की गिनती तीन मार्च को होगी। राज्य में 3,328 मतदान केंद्रों पर मतदान होगा, जहां बीजेपी ने 2018 के चुनाव में 25 साल के वामपंथी शासन को खत्म कर दिया था।
पीटीआई की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 28.13 लाख मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करने जा रहे हैं। कुल 259 उम्मीदवार चुनावी दौड़ में हैं, जिनमें सिर्फ 20 महिलाएं हैं। सत्तारूढ़ बीजेपी और सीपीएम-कांग्रेस गठबंधन के अलावा, पूर्व शाही वंशज प्रद्योत माणिक्य देबबर्मा के नेतृत्व में नवगठित टिपरा मोथा के बीच मुकाबला हैं। टिपरा मोथा ने राज्य के लोगों के लिए एक अलग राज्य 'ग्रेटर टिपरालैंड' के लिए लड़ने का वादा किया है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की टीएमसी भी मैदान में है।
बीजेपी 55 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है, उसकी सहयोगी आईपीएफटी ने छह सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं। सीपीएम 47 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और कांग्रेस 13 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। टीएमसी ने 28 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं और 58 निर्दलीय उम्मीदवार भी हैं। सत्तारूढ़ बीजेपी ने सबसे अधिक 12 महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।
पीटीआई के मुताबिक त्रिपुरा ट्राइबल एरियाज ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल (TTAADC) के लिए 2021 के चुनावों में बहुत अच्छा प्रदर्शन करने के बाद टिपरा मोथा उत्साहित है। पार्टी ने टीटीएएडीसी में 30 में से 18 सीटें जीतीं। टिपरा मोथा 60 सदस्यीय विधान सभा में 20 आदिवासी बहुल सीटों पर अपने प्रभाव पर निर्भर है। पार्टी 42 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
टिपरा मोथा को लगता है कि स्वदेशी लोग अपनी ही मातृभूमि में अल्पसंख्यक बन गए हैं क्योंकि अब बांग्लादेश से हिंदू प्रवासियों की बाढ़ आ गई है। टिपरा मोथा किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं है, लेकिन अपनी मांग का समर्थन करने वाली ताकतों का समर्थन कर सकता है।
बड़े नेता प्रचार को पहुंचे
प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और एक दर्जन केंद्रीय मंत्रियों ने भगवा पार्टी के उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया।
सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, वरिष्ठ नेता प्रकाश करात, वृंदा करात और मोहम्मद सलीम, पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार और पार्टी के राज्य सचिव जितेंद्र चौधरी ने पार्टी के पक्ष में प्रचार किया। पूर्व शाही वंशज प्रद्योत किशोर माणिक्य देबबर्मा ने अकेले ही अपनी टिपरा मोथा पार्टी के लिए प्रचार किया।
अब आगे क्या
पीटीआई के मुताबिक पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में होने वाले चुनाव इस साल छह अन्य महत्वपूर्ण राज्यों के चुनाव की भी दिशा तय करेंगे। जिसमें कर्नाटक, राजस्थान और छत्तीसगढ़ प्रमुख हैं। 27 फरवरी को नागालैंड और मेघालय में भी 60 सीटों पर वोटिंग होगी और तीनों के नतीजे 3 मार्च को घोषित किए जाएंगे। भाजपा त्रिपुरा को बनाए रखने और दो अन्य राज्यों में अपना वर्चस्व हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है। दूसरी ओर, कांग्रेस और वामपंथी प्रासंगिकता हासिल करने के लिए हाथ-पांव मार रहे हैं।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की टीएमसी भी त्रिपुरा चुनाव लड़कर यह साबित करने की कोशिश कर रही है कि उसका प्रभाव पूर्वी राज्य से परे है।
केरल एकमात्र राज्य है जहां वाम दलों का मुख्यमंत्री है, जबकि कांग्रेस अपने नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से अपने सबसे खराब अस्तित्व के संकट से बाहर आने की कोशिश कर रही है।
ये तीन चुनाव 2023 में भारत के व्यस्त चुनावी मौसम की शुरुआत करेंगे और इसके बाद कई राज्यों में चुनाव होंगे जो 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए दिशा तय करेंगे।
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