मोदी सरकार को यह समझना होगा कि छात्रों के अलावा बड़े पैमाने पर दलित, आदिवासी, किसान और नौजवान उसके ख़िलाफ़ क्यों दिख रहे हैं? निश्चित रूप से यह उसके लिए चेतावनी की घंटी है।
पुलिस को जेएनयू में हुई हिंसा में शामिल नक़ाबपोशों को लेकर बेहद अहम सुराग मिले हैं। हिंसा के इतने दिन बाद भी किसी को गिरफ़्तार न कर पाने से दिल्ली पुलिस पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं।
'इंडिया टुडे' ने जाँच के बाद यह पाया है कि इन वॉट्सऐप ग्रुप में दिख रहे ज़्यादातर नंबर या तो स्विच ऑफ़ हो गए हैं या जो लोग इन नंबरों का इस्तेमाल कर रहे थे, उन्होंने अपने सिम कार्ड तोड़ दिए हैं।
ख़बरों के मुताबिक़, अहमदाबाद में मंगलवार को प्रदर्शन कर रहे एनएसयूआई के कार्यकर्ताओं को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ताओं ने पीटा है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कम से कम 8 पदाधिकारी ऐसे तीन वॉट्सऐप ग्रुप के सक्रिय सदस्य थे जिनमें जेएनयू में हिंसा को लेकर बातें कही गईं थी।
ब्रिटेन के एक अख़बार ‘फ़ाइनेंशियल टाइम्स’ ने जेएनयू में घुसे इन नक़ाबपोशों को ‘राष्ट्रवादी’ कहकर तंज कसा तो केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर अख़बार पर बरस पड़े।
नक़ाबपोश जब जेएनयू में तोड़फोड़ कर रहे थे तो पुलिस वहां मौजूद थी लेकिन उसने इन लोगों को रोकने की कोशिश नहीं की। नक़ाबपोशों ने छात्रों, टीचर्स को पीटा और पत्रकारों के साथ भी बदसलूकी की।
जेएनयू में रविवार रात को हुई बर्बरता के ख़िलाफ़ देश भर में प्रदर्शन हो रहे हैं। मुंबई से लेकर हैदराबाद और बेंगलुरू तक इस बर्बरता के ख़िलाफ़ छात्रों ने आवाज़ उठाई है।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि देश भर के विश्वविद्यालयों में जो रहा है, उसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह जिम्मेदार हैं।