जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हुए ‘नक़ाबपोश हमले’ के बाद जिस तरह देश के लगभग सारे विश्वविद्यालय उबल पड़े हैं, उससे साफ़ होता है कि बात सिर्फ वही नहीं है जो विश्वविद्यालय प्रशासन और नरेन्द्र मोदी सरकार चाहती है। तत्काल देखेंगे तो नागरिकता क़ानून में बदलाव और नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटीजंस (एनआरसी) की घोषणा के बाद जामिया और कई और विश्वविद्यालयों के आंदोलन और पुलिस दमन का मामला दिखाई देगा। पर गौर करने वाली बात यह है कि यह घटना हैदराबाद में रोहित वेमुला की आत्महत्या और जेएनयू में ही एक फर्जी वीडियो के जरिए ‘देश तोड़ने का षड्यंत्र’ दिखाए जाने और तब के छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर हमले से जुड़ती लगेगी।